अफगान में आतंक पर लगाम लगाना पाकिस्तान के हाथ में

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नई दिल्ली । अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत और रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक हुई। इस दौरान भारत ने रूस के सामने एक बार फिर से पाकिस्तानी कारनामों का काला चिट्ठी खोला और बताया कि कैसे भारत विरोध आतंकी गुट जैसे लश्कर एक तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद के साथ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की सांठगांठ जारी है।

इस हाई लेवल मीटिंग के दौरान भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि आईसआई के तालिबान के साथ भी संबंध हैं और ऐसे में पाकिस्तान की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि वह अफगानिस्तान में आतंकवाद को रोकने का काम करे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अपने रूसी समकक्ष जनरल निकोलाय पेत्रुसेव को बताया कि पाकिस्तान की विशेष जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और भारत-विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए न किया जाए। बता दें कि बीते कुछ हफ्तों में भारत ने यह कई बार कहा है कि अब पहली प्राथमिकता यह है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल न कर सकें।

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अधिकारियों के अनुसार डोभाल-पेत्रुशेव वार्ता में, दोनों पक्षों ने तालिबान शासित अफगानिस्तान से भारत, रूस और मध्य एशियाई क्षेत्र में किसी भी संभावित आतंकवादी गतिविधि से निपटने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद संभावित सुरक्षा प्रभावों के संबंध में अपने-अपने आकलन से एक-दूसरे को अवगत कराया तथा यह विचार किया कि किसी भी संभावित चुनौती का सामना करने के लिए किस प्रकार समन्वित दृष्टिकोण का पालन किया जा सकता है। एक अधिकारी ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित विभिन्न आतंकवादी समूहों की गतिविधियों की समीक्षा की जाएगी जिनकी अफगानिस्तान में मजबूत उपस्थिति है।

अफगानिस्तान से होने वाले आतंकवाद को लेकर भारत और रूस दोनों ही चिंतित हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 अगस्त को अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर बातचीत थी और कहा था कि दोनों देशों के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है।

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