नई दिल्ली । कोरोना के बाद डेंगू व वायरल बुखार से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में हालत बिगड़ गए है। उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में 24 घंटे में नौ मरीजों की मौत हो गई है, जबकि आगरा में डेंगू से एक मरीज की मौत हुई है। फिरोजाबाद में 24 घंटे के दौरान आठ माह के बच्चे और किशोरी समेत चार मरीजों की मौत हो गई। जिले के सरकारी अस्पताल में 71 मरीज भर्ती कराए गए है।
आगरा के एसएन मेडिकल कालेज में भर्ती मरीजों में से 16 में डेंगू की पुष्टि हुई है। इस बीच एक युवक की मौत हो गई है। कासगंज में एक किशोरी और एक युवती की मौत हो गई है। मैनपुरी में बुखार से पीड़ित एक बच्ची ने दम तोड़ दिया है। जिले में अब तक 74 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। मथुरा में डेंगू के 20 नए केस सामने आए हैं, जबकि बुखार पीड़ित एक बालक की मौत हो गई है।
मथुरा में बुखार से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना की तर्ज पर काम शुरू कर दिया है।
गांव-गांव निगरानी समितियां सक्रिय की गई हैं। कलक्ट्रेट स्थित आइसीसीसी (इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर) शुरू किया गया है। डेंगू की पुष्टि होने वाले मरीज के स्वस्थ होने के बाद भी एक सप्ताह तक हालचाल लिया जा रहा है। जिले में सरकारी रिकार्ड में 385 डेंगू मरीजों की पुष्टि हो चुकी है।
अब तक बुखार से 16 मरीजों की ही मौत हो चुकी है। राज्य के उमरिया और अनूपपुर को छोड़ सभी जिलों में डेंगू के मरीज मिल रहे हैं। इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल में डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हर दिन औसतन 125 मरीज मिल रहे हैं। जनवरी से अब तक यहां 20 हजार सैंपल की जांच में 3900 डेंगू के मरीज मिल चुके हैं। इनमें 2200 से अधिक मरीज सिर्फ सितंबर में मिले हैं।
डेंगू का डी-2 स्ट्रेन घातक साबित हो रहा है। बुखार आने के तीसरे दिन बच्चों में खून की नलिकाओं से प्लाज्मा लीक होने लगता है, शरीर पर सूजन आ रही है। खून गाढ़ा होने से हीमोग्लोबिन बढ़ रहा है। आगरा के एसएन मेडिकल कालेज के बाल रोग विशेषज्ञ डा नीरज यादव ने बताया कि 14 अगस्त से अभी तक 70 से अधिक बुखार से पीड़ित बच्चे भर्ती हुए हैं।
ब्लड में 45 फीसदी रेड ब्लड सेल्स (लाल रक्त कोशिका) होती हैं, 55 फीसदी प्लाज्मा होता है। तीसरे दिन से खून की नलिकाओं से प्लाज्मा लीक होने लगता है। यह चौथे से छठे दिन तक सबसे अधिक होता है, इससे शरीर पर सूजन आ जाती है। ब्लड वाल्यूम कम हो जाता है। खून गाढ़ा होने लगता है और हीमोग्लोबिन का स्तर 12 से बढ़कर 17 से 18 तक पहुंच जाता है। इस दौरान उल्टी होने लगे, शरीर में तरल पदार्थ की कमी हो जाए तो घातक हो सकता है। इसलिए डेंगू के मरीज में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए।