लखनऊ। राजनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राज्य की 403 सीटों के चुनाव की मतगणना शुक्रवार शुरू हो गई ,चुनाव नतीजों के द्वितीय चरण के रुझान सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन पर बड़ी बढ़त बना ली है।
बहुमत का आंकड़ा भाजपा ने छू लिया है। 321 सीटों के शुरुआती रुझान बताते हैं कि कि भाजपा गठबंधन 221 सीटों पर आगे है और सपा गठबंधन 89 सीटों पर आगे है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को 5 तो कांग्रेस को 6 सीटों पर आगे है।चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, भाजपा को अब तक कुल मतों का 42.53 फीसदी मत मिला है, जो कि पिछले विधानसभा चुनावों से अधिक है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट पर भारी बढ़त बना ली है. चौथे चरण की गिनती के बाद वे अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के एसपी सिंह बघेल के ऊपर 14,000 से अधिक मतों की बढ़त बनाए हुए हैं। रामपुर में सपा नेता आज़म ख़ान पहले चरण की मतगमना के बाद करीब 4,000 मतों से आगे चल रहे हैं। पूरे चुनाव के दौरान वह जेल में बंद थे। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है, ‘जनता जीत रही है, गुंडागर्दी हार रही है।
उ.प्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने कहा प्रदेश विधानसभा चुनाव की मतगणना राज्य के सभी 75 जिलों में सुबह आठ बजे शुरू हो गयी. मतगणना के लिए प्रदेश के सभी जिलों में कुल 84 केंद्र बनाए गए हैं। इनमें आगरा में 5 अमेठी, अंबेडकर नगर, देवरिया, मेरठ और आजमगढ़ में 2-2 तथा बाकी जिलों में 1-1 मतगणना केंद्र बनाया गया है।
शुक्ला ने कहा हर विधानसभा क्षेत्र में एक-एक मतगणना प्रेक्षक तैनात किया गया है. मतगणना के पर्यवेक्षण के लिए दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉक्टर रणवीर सिंह को मेरठ तथा बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एच आर श्रीनिवास को वाराणसी में नियुक्त किया गया है। उ.प्र में किसी भी तरह के विजय जुलूस या रैली निकालने पर पूरी तरह से रोक रहेगी।
भाजपा, अपना दल और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन में सीटें बांटकर चुनावी मैदान में उतरी थी। तो वहीं सपा ने अपना दल (सी), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) जैसे अनेक छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन करके सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपनाया था।
स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी, रामअचल राजभर जैसे भाजपा के अनेक नेताओं को अखिलेश ने पार्टी में शामिल कराया था जिनके चलते 2017 में भाजपा सोशल इंजीनियरिंग के तहत सरकार बनाने में सफल हुई थी। इनके सपा में आने से भाजपा का दावा कमजोर और सपा के पक्ष में हवा दिखाई दे रही थी।
वहीं, भाजपा अपनी मुफ्त राशन जैसी योजनाओं और सपा सरकार की गुंडागर्दी जैसे मुद्दों को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ी थी।
वहीं, शुरुआती रुझानों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस कहीं नज़र नहीं आ रही हैं. चुनाव प्रचार में कांग्रेस की बात करें तो प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के चुनावी अभियान को चर्चाओं का केंद्र बना दिया था. चुनाव को महिला केंद्रित बनाने की कोशिश में उन्होंने ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ जैसे नारे और सीट आबंटन में महिलाओं को 40 फीसदी आरक्षण देकर उ.प्र में कांग्रेस की जमीन तैयार की है।