दूसरों के आधार कार्ड और पैन कार्ड के जरिए फर्जी कम्पनियां बनाकर की टैक्स चोरी
प्रयागराज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक हजार करोड़ रूपये के जीएसटी फ्राड के मामले में आरोपी को राहत देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मामला आर्थिक अपराध से जुड़ा है। सरकारी खजाने को क्षति हुई है। ऐसे मामले की तह तक जाने के लिए आरोपियों से पूछताछ की आवश्यकता हो सकती है। लिहाजा, अग्रिम जमानत देने का मामला नहीं बन रहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने अंशुल गोयल की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया। दरअसल एक न्यूज पोर्टल के वरिष्ठ पत्रकार सौरभ द्विवेदी ने फर्म बनाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना चाहा तो पता चला कि उनके आधार कार्ड और पैन कार्ड से पहले ही फर्म का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। इस पर उन्होंने नोएडा सेक्टर-20 थाने में फ्राड (धोखाधड़ी), सरकारी कागजों में हेराफेरी सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में पिछले वर्ष प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
जांच में पता चला कि आरोपियों ने इस तरह से दूसरे के आधार कार्ड और पैन कार्ड से 26 हजार फर्जी फर्म जीएसटी में रजिस्टर्ड करा केंद्र और प्रदेश सरकार से एक हजार करोड़ का फ्राड किया। याची के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि उसे फर्जी फंसाया गया है। उसका कोई रोल नहीं है। जिन बयानों के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की है, उनमें मेल नहीं है।
जबकि, सरकारी अधिवक्ता नितेश कुमार श्रीवास्तव ने विरोध जताया। कोर्ट ने कहा कि मामले में एसआईटी जांच कर रही है। प्राथमिकी के बाद आरोपियों के नाम सामने आए हैं। यह पैन इंडिया घोटाला है। आरोपियों द्वारा जाली और फर्जी तरीके से टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया गया है। लिहाजा, याची अग्रिम जमानत पाने का हकदार नहीं है।