बेंगलुरु । कर्नाटक के एक शैक्षणिक संस्थान में हिजाब विवाद के बाद अब बेंगलुरु में एक स्कूल ने छात्रों के लिए बाइबल को स्कूल ले जाने की अनिवार्यता को लेकर घमासन छिड़ गया है। मामले पर दक्षिणपंथी समूहों ने नाराजगी जताई है।
क्लेरेंस स्कूल ने माता-पिता से एक शपथ पत्र भी लिया है, जिसमें कहा गया है कि छात्रों को स्कूल में बाइबिल या हिम (भजन) की किताब ले जाने पर कोई आपत्ति नहीं होगी। नए निर्देश पर दक्षिणपंथी समूहों की प्रतिक्रियाएं आई हैं, जिन्होंने इसे कर्नाटक शिक्षा अधिनियम का उल्लंघन बताया है। समूह का आरोप है कि छात्रों पर उनकी मर्जी के खिलाफ धार्मिक शिक्षा थोपी जा रही है। उन्होंने शिक्षा विभाग से स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की है।
हाल ही में कर्नाटक सरकार ने स्कूलों में भगवद गीता को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि भगवद गीता को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय चर्चा के बाद लिया जाएगा। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, ‘भगवद गीता इस देश में कई सालों से लोगों द्वारा पढ़ी गई है।
गीता सभी लोगों द्वारा पढ़ी जाती है और पुस्तक का अनुवाद दुनिया भर की सभी भाषाओं में किया जा रहा है। छात्रों का मनोबल बढ़ाने के लिए हम पहले शिक्षाविदों और विशेषज्ञों से इस पर चर्चा करेंगे।’ कर्नाटक के अलावा गुजरात ने भी यह भी घोषणा की है कि शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से भगवद गीता कक्षा 6 से 12 तक के स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा होगी।