नई दिल्ली । कोयला मंत्रालय संस्थागत गवर्नेंस के तीन प्रमुख पहलुओं, आम जन और समुदाय, पर्यावरण सुधार और न्यायपूर्ण तरीके से भूमि के दोबारा इस्तेमाल के लिए एक मजबूत (खदान बंद करने) माइन क्लोजर फ्रेमवर्क को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। मंत्रालय इस योजना के लिए विश्व बैंक से सहयोग और सहायता हासिल करने के लिए शुरूआती विचार-विमर्श कर रहा है।
विभिन्न देशों में खदान बंद करने के मामलों में विश्व बैंक का व्यापक अनुभव बेहद लाभकरी होगा। साथ ही उसके जरिए खदान बंद करने के मामलों को पूरा करने में श्रेष्ठ तरीके और मानकों को अपनाने में सहायता मिलेगी। विश्व बैंक के साथ प्रस्तावित सहयोग के लिए एक प्रारंभिक प्रोजेक्ट रिपोर्ट (पीपीआर) आवश्यक मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय को भेज दी गई है।
कोयला मंत्रालय के सस्टेनेबल डेवलपमेंट सेल के जरिए बंद खदान स्थलों को दोबारा इस्तेमालकी प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई है। नए कार्यक्रम से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए कोयला कंपनियों और कोयला नियंत्रक कार्यालय के साथ कई दौर की बैठकें भी हो चुकी हैं। उनके विचार और सुझाव प्राप्त करने के लिए संबंधित मंत्रालयों और नीति आयोग के साथ अंतर-मंत्रालीय चर्चा भी हुई है। अभी तक, भारतीय कोयला क्षेत्र कोयला उत्पादन में बढ़ोतरी करके देश की ऊर्जा मांग को पूरा करने में अपनी पूरी कोशिश करता आ रहा है। इसके अलावा पर्यावरण और स्थानीय समुदाय की देखभाल पर जोर देने के साथ सतत विकास के मार्ग को अपनाने की दिशा में भी विभिन्न पहल करता रहा है।