नई दिल्ली । लगातार बढ़ रही महंगाई के बीच मोदी सरकार ने खाने के तेल की कीमतों पर अंकुश लगाने के कई उपाय किए हैं। इसी कड़ी में सरकार ने निगरानी अभियान शुरू किया है। अभियान का मकसद खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को रोकने और उनकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए तेल-तिलहनों की जमाखोरी एवं कालाबाजारी रोकना है।
खाद्य तेलों की अपनी 60 फीसदी जरूरतें पूरी करने के लिए आयात करता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर उपजी राजनीतिक अस्थिरता के कारण पिछले कुछ महीनों में विभिन्न खाद्य तेलों के खुदरा दाम तेजी से बढ़े हैं। सरकार के विभिन्न उपायों के बावजूद कीमतों में लगातार तेजी देखी गई है।
खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय का कहना है कि कीमतें थामने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं। हमने खाद्य तेलों और तिलहनों की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए एक अप्रैल से निरीक्षण अभियान शुरू किया है। इसके तहत राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ एक केंद्रीय टीम विभिन्न तिलहन और खाद्य तेल उत्पादक राज्यों में निरीक्षण कर रही है।
पांडेय का कहना है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में निरीक्षण चल रहा है। आने वाले दिनों में निगरानी अभियान को और तेज किया जाएगा। अन्य उपायों पर कहा कि सरकार पहले ही खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कटौती कर चुकी है।स्टॉक सीमा बढ़ाई गई है। निजी कारोबारियों के जरिये आयात सुविधा के अलावा बंदरगाहों पर जहाजों की शीघ्र निकासी सुनिश्चित कर रहे हैं। इसके अलावा, लगातार बैठकें चल रही हैं, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि खुदरा विक्रेताओं निर्धारित अधिकतम खुदरा मूल्य का पालन कर सकें।
सूरजमुखी तेल पर सचिव ने कहा कि रूस और यूक्रेन दो प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश हैं। निजी कारोबारी अन्य देशों से खाद्य तेल खरीदने का प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि, इसकी मात्रा बहुत कम होगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, पिछले तीन महीनों में सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और पाम तेल की औसत खुदरा कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखने को मिली है।एक जनवरी 2022 के 161.71 रुपये प्रति किलोग्राम के मुकाबले 4 अप्रैल को सूरजमुखी तेल की औसत खुदरा कीमत 184.58 रुपये प्रति किलोग्राम है।सोयाबीन तेल 148.59 रुपये से बढ़कर 162.13 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।पाम तेल 128.28 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 151.59 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।