— बीते ५ जून को दिल्ली मे भाजपा घटक दलों की बैठक मे भाजपा ने सुभासपा को नही दिया निमंत्रण
— हार के बाद, भाजपा द्वारा सुभासपा को कभी भी गठबंधन से अलग करने की हो सकती है अधिकारिक घोषणा
( ब्रह्मा नन्द पाण्डेय)
मऊ। घोसी लोकसभा चुनाव मे समाजवादी पार्टी के हाथों करारी हार का स्वाद चखने के बाद सुभसपा से भाजपा कन्नी काटने लगी है। योगी सरकार मे मंत्री बनने और घोसी लोकसभा सीट से गठबंधन द्वारा उनके बेटे अरविन्द राजभर को टिकट देने के बाद भाजपा ने अरविन्द को चुनाव हारते ही सुभसपा से दूरी बनानी शुरु कर दी है।
तीसरी सरकार के निर्माण पूर्व भाजपा घटक दलो की दिल्ली मे हुई बैठक मे ओपी राजभर को नही बुलाया जाना, सुभासपा और भाजपा के संबंधो मे संशय पैदा करता देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है की सुभासपा का राजभर मतदाताओं को लेकर प्रदर्शित बड़बोलापन अब भाजपा को खोखला दिखने लगा है।
ओपी राजभर को भाजपा द्वारा उनको घोसी विधानसभा सीट से दरा सिंह चौहान को जिताने और इसमे मिली हार के बाद घोसी लोकसभा सीट मे अरविन्द को जिताने की जिम्मेदारी दी थी, सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर भाजपा द्वारा दी गई इन दोनो जिम्मेदारियों के निर्वहन मे फेल हुए।
सुभासपा को मिली इन दोनो असफलताओ को लोग सुभासपा की दुर्गति मान रहे है। बताते चले कि घोसी लोकसभा सीट पर सुभसपा के अरविन्द राजभर को समाजवादी पार्टी के राजीव राय ने करीब करीब डेढ़ लाख मतो से हराया है।
हालाँकि ओम प्रकाश राजभर या फिर भाजपा की ओर से सुभसपा को भाजपा के घटक दल मानने या फिर उन्हे बाहर का रास्ता दिखाने को लेकर कोई अधिकारिक बयान अभी तक नही आया है लेकिन घटक दलों की बैठक मे ओपी को न बुलाने की राजनितिक गलियारी मे भाजपा और सुभसपा के बींच संशय के रूप मे मान रहे है