-भारत अलग-अलग मिसाइलों की एक नई ‘रॉकेट फोर्स’ बनाने की कर रहा तैयारी
नई दिल्ली । चीन के घातक मंसूबों को लेकर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने आगाह करते हुए कहा कि उसका अगला प्लान काबुल के रास्ते से होगा जिससे सबसे अधिक खतरा भारत को हो सकता है। एक कार्यक्रम में चीन से व्याप्त खतरे के मसले पर उन्होंने कहा कि ड्रैगन जल्द ही ईरान और तुर्की से संबंध तैयार करने के बाद अफगानिस्तान में कदम रखेगा। उन्होंने शत्रुतापूर्ण तरीकों से काम कर रहे दो पड़ोसियों का सामना करने के लिए नॉन कॉन्टैक्ट टेक्नोलॉजिकल वारफेयर और आंतरिक सुरक्षा के लिए एकीकृत व्यवस्था तैयार करने की जरूरत बताई।
कार्यक्रम में जनरल रावत ने सैम्युल हैरिंगटन के ‘क्लैश ऑफ सिविलाइजेशन्स’ का जिक्र करते हुए कहा कि कन्फ्यूशियन या सिनिक सभ्यता वास्तव में पश्चिम का मुकाबला करने के लिए इस्लामिक सभ्यता से हाथ मिलाएगी। उन्होंने कहा, ‘ऐसा होगा या नहीं, यह केवल समय ही बताएगा। लेकिन हम सिनिक और इस्लामिक सभ्यता में किसी तरह की ‘जॉइंटमैनशिप’ देख रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘आप देख सकते हैं कि चीन अब ईरान के साथ दोस्ती कर रहा है, तुर्की की तरफ बढ़ रहा है और अफगानिस्तान में कदम जमा रहा है। वे (चीन) जल्द ही अफगानिस्तान पहुंच जाएंगे।’
पाकिस्तान को लेकर उन्होंने कहा कि पश्चिम विरोधी भारत के खिलाफ अपना प्रॉक्सी वॉर बढ़ाते रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘आज हम इसे जम्मू-कश्मीर में देख रहे हैं। वे (पाकिस्तान) पंजाब में एक बार फिर प्रयास में हैं और देश के अन्य हिस्सों में भी अपने पंख फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत सभी सुरक्षा मुद्दों का सामना करने के लिए ‘एक संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ को अपना रहा है।
रावत ने कहा कि भारत अलग-अलग तरह की मिसाइलों की एक नई ‘रॉकेट फोर्स’ बनाने, सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के बीच एक ज्यादा एकजुटता सुनिश्चित करने की तैयारी कर रहा है। साथ ही एकजुट थिएटर कमांड्स, अंतरिक्ष, साइबर स्पेस और स्पेशल ऑपरेशन्स में क्षमताओं को मजबूत करने के साथ एकीकृत युद्ध प्रणाली तैयार करने की कोशिशें पहले से ही जारी हैं। चीन की बढ़ती आक्रामकता को लेकर उन्होंने तकनीकी रूप से भी मजबूत होने की बात कही।
उन्होंने कहा, ‘जरूरी नहीं है कि भविष्य के युद्ध पिछले युद्धों की तरह लड़े जाएंगे…’ जनरल रावत ने कहा कि कुल मिलाकर भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था में ‘बदलाव’ की ओर देखने की जरूरत है, जिसमें सभी सुरक्षाबलों के साथ-साथ नागरिक संगठनों की एकजुटता की भी आवश्कता होगी।