Monday, June 5, 2023

जीत के बाद भी अदिति सिंह को फायदे का सौदा साबित नहीं हुआ कांग्रेस छोड़ भाजपा में आना


-भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने से उनके पिता अखिलेश कुमार सिंह के बनाए वोटबैंक में सेंध लगी
-वह चुनाव जीत तो जीतीं, लेकिन जीत का अंतर सिमटकर सात हजार वोटों के आसपास रह गया
-विदेश में पढ़ाई और कांग्रेस विधायक से शादी के बाद लाखों की मालकिन हैं अदिति सिंह

रायबरेली। कांग्रेस से बागी होकर भाजपा में शामिल हुईं अदिति सिंह को भाजपा में आना अबतक मुनाफे का सौदा नहीं दिखता। भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने से उनके पिता, जिनकी छवि रायबरेली में रॉबिनहुड सरीखी रही है, उनके बनाए वोटबैंक में सेंध लगी। अदिति 2017 में कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ी थीं और 90 हजार वोटों के अंतर से जीतकर विधानसभा पहुंची थीं। इस बार वह चुनाव जीत तो गईं, लेकिन जीत का अंतर सिमटकर सात हजार वोटों के आसपास रह गया। इसके अलावा क्षेत्रीय अदावत वाले परिवार, यानी दिनेश सिंह को भाजपा ने ताकत दी, जबकि अदिति को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।


अदिति सिंह उन कुछ कांग्रेस उम्मीदवारों में से एक हैं जो 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान जीतने में सफल रहे। उन्होंने अपने बीएसपी प्रतिद्वंद्वी शाहबाज खान को 89,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया था। उनके पिता अखिलेश कुमार सिंह ने 1993, 1996, 2002, 2007 और 2012 में लगातार पांच बार निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। हालांकि, वे उत्तर प्रदेश में 2022 के राज्य चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं। उनके पति अंगद सिंह अभी भी कांग्रेस पार्टी में हैं और नवांशहर निर्वाचन क्षेत्र से पंजाब विधानसभा में विधायक हैं।

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वहीं अदिति सिंह की जगह भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह पर ही भरोसा बरकरार रखा है। दिनेश को योगी मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है। सूत्र बताते हैं कि इसकी वजह 2024 का लोकसभा चुनाव है। चुनाव के पहले भाजपा रायबरेली में दिनेश का कद बढ़ाना चाहती है। पिछले एक दशक में रायबरेली में दिनेश का परिवार राजनीतिक तौर पर काफी ताकतवर रहा है। दिनेश खुद साल 2010 और 2016 में एमएलसी चुने गए थे। इसके अलावा दिनेश के भाई राकेश सिंह हरचंदपुर से 2017 में विधायक बने थे। 2016 में जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट दिनेश के भाई अवधेश को मिली थी।

हालांकि, अब जबकि दिनेश भाजपा में हैं तो स्थितियां कुछ अलग हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में दिनेश के भाई हार गए। जिला पंचायत अध्यक्ष भी अवधेश नहीं रहे और दिनेश का खुद का एमएलसी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। यह बात अलग है कि दिनेश को भाजपा ने रायबरेली स्थानीय निकाय सीट से विधान परिषद चुनाव में उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में पहले की तुलना में राजनीतिक तौर पर कमजोर होते दिनेश को भाजपा इसलिए ताकत देना चाहती है, ताकि वह मजबूती से कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अपनी दावेदारी रख सकें और भाजपा प्रदेश में कांग्रेस का यह आखिरी किला भी भेद सके।

भाजपा इसके पहले 2019 में अमेठी से राहुल गांधी को हरा चुकी है जबकि दिनेश रायबरेली से भाजपा उम्मीदवार थे। वह चुनाव भले हार गए थे, लेकिन उन्हें भाजपा उम्मीदवार के तौर पर रायबरेली से सबसे ज्यादा वोट मिले थे। अदिति सिंह का जन्म 15 नवंबर 1987 को लखनऊ में हुआ था। अदिति ने यूएसए के ड्यूक विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज की डिग्री हासिल की है। विदेश से पढ़ाई के बाद अदिति ने अने पिता अखिलेश सिंह की राजनीतिक विरासत संभाली और विधायक बनीं। 21 नवंबर 2019 को अदिति सिंह ने पंजाब के कांग्रेस विधायक अंगद सिंह संग शादी कर ली थी।

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"डंके की चोट " पर मै खरी दुनिया हू मै खरी दुनिया हू.... मै भ्रष्टाचारियों के बीच अकेला, लेकिन खरी दुनिया हू, मै हर हाल मे उन खबरो को, लोगो तक पहुचाने की कोशिश करता हू, जो अधिकांश बिकाऊ और बिकी मीडिया से, अपने "आका" के इशारे पर छुपा दी जाती हैं। मै इस लिए खरी दुनिया हू, क्योकि हमारी सरकार यानि "भारतीय जनता पार्टी " भ्रष्टाचार और अपराध को लेकर "जीरो टालरेंस " क़ी हिमायती हैं। मै भाजपा की इस नीति का पालन करने और कराने के लिए "डंके की चोट" पर कफ़न "सर" पर लिए खुद को नियमबद्ध रखते हुए हाजिर हू....मै खरी दुनिया हू.... भ्रष्टाचारीयो मे अफसर हो, या गाव का प्रधान, मै पदीय अधिकारों क़ी आड़ मे क़ी गई उनकी अनियमित्ता के साक्ष्य को खोजने का काम करता हू , .....क्योकि मै खरी दुनिया हू।
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