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ट्रायल कोर्ट को न कहें निचली अदालत : हाईकोर्ट

-हाईकोर्ट ने महानिबंधक को सर्कुलर जारी करने का दिया निर्देश

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निचली अदालत न कहने को कहा है। कोर्ट ने हाईकोर्ट के महानिबंधक को निर्देश दिया है और कहा है कि वह इस संबंध में सर्कुलर (परिपत्र) जारी करें। निचली अदालत की बजाय ट्रायल कोर्ट ही कहा जाए। निचली अदालत या लोअर कोर्ट कहने की प्रथा उचित नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल की पीठ ने मेरठ के शमशाद अली नामक व्यक्ति की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

याची ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। ट्रायल कोर्ट ने संबंधित मामले में प्रतिवादी संख्या दो राकेश कुमार को बरी कर दिया है। याची ने उसी को चुनौती दी है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले संबंधित रिकॉर्ड तलब किया था। रजिस्ट्री ने ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को लोअर कोर्ट रिकॉर्ड या एलसीआर के रूप में संदर्भित किया था। कोर्ट ने इस पर आपत्ति जताई। कहा कि कोर्ट ने अपने दो आदेशों में ट्रायल कोर्ट के रूप में संदर्भित किया था। जबकि, कार्यालय ने कोर्ट के दोनों आदेशों के अनुपालन में लोअर कोर्ट रिकॉर्ड या एलसीआर के रूप में संदर्भित किया है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को लोअर कोर्ट के रूप में संदर्भित करने की प्रथा उचित नहीं है। हमेशा ट्रायल कोर्ट के रूप में सम्बोधित किया जाना चाहिए।

इसके अलावा कोर्ट ने पुनरीक्षण याचिका में आरोपी प्रतिवादी संख्या दो राकेश कुमार के उपस्थित न होने पर सीजेएम के जरिए जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया है।

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