Friday, March 24, 2023

ट्रेन लेट होने के कारण चूकी फ्लाइट, सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे पर लगाया 30 हजार जुर्माना


नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेन लेट होने के कारण भारतीय रेलवे पर 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेन चार घंटे लेट होने के सन 2016 के एक मामले में रेलवे पर तीस हजार रुपए जुर्माना लगाया है। दरअसल, एक परिवार को हवाई जहाज से सफर करना था, लेकिन ट्रेन लेट होने की वजह से प्लाइट छूट गई।
सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को अब तीस हजार रुपए जुर्माना और उस पर 9 फीसदी सालाना दर से ब्याज का भुगतान पीड़ित यात्री परिवार को अदा करने का आदेश दिया है। यह आदेश अलवर जिले के निवासी पीड़ित यात्री की शिकायत पर जिला, राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत के आदेशों को मान्यता देते हुए दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने पीड़ित यात्री संजय शुक्ला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यात्री का समय भी अनमोल होता है। बिना कारण ट्रेन लेट होना गैरजिम्मेदारी है। यह मामला 11 जून 2016 का है। संजय शुक्ला को परिवार सहित अजमेर-जम्मू एक्सप्रेस से जम्मू जाना था। ट्रेन अपने तय समय सुबह आठ बजकर दस मिनट की बजाय दोपहर बारह बजे जम्मू पहुंची। जबकि शुक्ला परिवार को बारह बजे की फ्लाइट से श्रीनगर उड़ान भरनी थी। वहां, उन्होंने होटल की भी बुकिंग करा रखी थी। ऐसे में ट्रेन लेट होने की वजह से उनकी फ्लाइट छूट गई और उन्हें 15 हजार रुपये खर्च करके टैक्सी से श्रीनगर जाना पड़ा।

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ट्रेन की लेट लतीफी के कारण शुक्ला परिवार को काफी नुकसान हुआ तो उन्होंने अलवर जिला अदालत में याचिका दायर की। जिसमें अदालत ने रेलवे को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खर्च हुए रुपये के साथ पांच हजार रुपये मानसिक तनाव और मुकदमा खर्च के रूप में अदा करने का आदेश उत्तर पश्चिम रेलवे को दिया। वहीं, राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत ने भी इसे उचित बताते हुए मंजूर किया।


रेलवे ने अपनी गलती न मानते हुए सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग के फैसले को चुनौती दी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में पीठ के सामने एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने रेलवे नियमों की दुहाई देते हुए दलील दी कि ये तो स्थापित नियम है कि देरी की जिम्मेदारी रेलवे की नहीं है। लेकिन पीठ ने उनकी दलील को सही नहीं ठहराया और रेलवे को जुर्माना भरने का आदेश पारित कर दिया।

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"डंके की चोट " पर मै खरी दुनिया हू मै खरी दुनिया हू.... मै भ्रष्टाचारियों के बीच अकेला, लेकिन खरी दुनिया हू, मै हर हाल मे उन खबरो को, लोगो तक पहुचाने की कोशिश करता हू, जो अधिकांश बिकाऊ और बिकी मीडिया से, अपने "आका" के इशारे पर छुपा दी जाती हैं। मै इस लिए खरी दुनिया हू, क्योकि हमारी सरकार यानि "भारतीय जनता पार्टी " भ्रष्टाचार और अपराध को लेकर "जीरो टालरेंस " क़ी हिमायती हैं। मै भाजपा की इस नीति का पालन करने और कराने के लिए "डंके की चोट" पर कफ़न "सर" पर लिए खुद को नियमबद्ध रखते हुए हाजिर हू....मै खरी दुनिया हू.... भ्रष्टाचारीयो मे अफसर हो, या गाव का प्रधान, मै पदीय अधिकारों क़ी आड़ मे क़ी गई उनकी अनियमित्ता के साक्ष्य को खोजने का काम करता हू , .....क्योकि मै खरी दुनिया हू।
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