Monday, March 27, 2023

दाखिल खारिज से स्वामित्व का हक नहीं बनता: सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दाखिल खारिज (म्यूटेशन प्रविष्टि) से किसी व्यक्ति के पक्ष में किसी संपत्ति का अधिकार, स्वामित्व या हित नहीं मिलता है। यह केवल वित्तीय उद्देश्य के लिए है। किसी संपत्ति के दाखिल का अर्थ स्थानीय नगर निगम या तहसील प्रशासन के राजस्व रिकॉर्ड में स्वामित्व का हस्तांतरण या परिवर्तन है।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि इस पर भी विवाद नहीं हो सकता कि वसीयत के आधार पर अधिकार का दावा वसीयत करने वाले की मृत्यु के बाद ही किया जा सकता है। कानून की प्रतिपादित व्यवस्था के अनुसार, म्यूटेशन प्रविष्टि किसी व्यक्ति के पक्ष में कोई अधिकार, स्वामित्व या हित नहीं देती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि स्वामित्व के संबंध में कोई विवाद है और विशेष रूप से जब वसीयत के आधार पर म्यूटेशन प्रविष्टि की मांग की जाती है, तो जो पक्ष स्वामित्व या अधिकार का दावा कर रहा है, उसे उपयुक्त अदालत का दरवाजा खटखटाना होगा।

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न्यायालय ने कहा कि आवेदक के अधिकारों को केवल सक्षम दीवानी अदालत के जरिये ही हासिल किया जा सकता है। अदालत के निर्णय के आधार पर जरूरी म्यूटेशन प्रविष्टि की जा सकती है। न्यायालय ने अपने पिछले फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि राजस्व रिकॉर्ड में संपत्ति के म्यूटेशन से न तो संपत्ति का स्वामित्व बनता है, न ही खत्म होता है। इस तरह की प्रविष्टियां केवल भू-राजस्व हासिल करने के लिए प्रासंगिक हैं। शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक आदेश को बरकरार रखते हुए यह फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने रीवा मंडल के अतिरिक्त आयुक्त द्वारा पारित आदेश रद्द कर दिया गया था, जिसमें एक व्यक्ति ने वसीयत के आधार पर म्यूटेशन की मांग की थी।

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"डंके की चोट " पर मै खरी दुनिया हू मै खरी दुनिया हू.... मै भ्रष्टाचारियों के बीच अकेला, लेकिन खरी दुनिया हू, मै हर हाल मे उन खबरो को, लोगो तक पहुचाने की कोशिश करता हू, जो अधिकांश बिकाऊ और बिकी मीडिया से, अपने "आका" के इशारे पर छुपा दी जाती हैं। मै इस लिए खरी दुनिया हू, क्योकि हमारी सरकार यानि "भारतीय जनता पार्टी " भ्रष्टाचार और अपराध को लेकर "जीरो टालरेंस " क़ी हिमायती हैं। मै भाजपा की इस नीति का पालन करने और कराने के लिए "डंके की चोट" पर कफ़न "सर" पर लिए खुद को नियमबद्ध रखते हुए हाजिर हू....मै खरी दुनिया हू.... भ्रष्टाचारीयो मे अफसर हो, या गाव का प्रधान, मै पदीय अधिकारों क़ी आड़ मे क़ी गई उनकी अनियमित्ता के साक्ष्य को खोजने का काम करता हू , .....क्योकि मै खरी दुनिया हू।
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