नई दिल्ली । जहांगीरपुरी हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले से एक अहम आरोपी को दबोचा है। जहांगीरपुरी हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस की पांच सदस्यीय टीम तामलुक थाने गई थी। पश्चिम बंगाल पुलिस की मदद से टीम ढलहारा गांव गई और एसके फरीद नाम के शख्स को उसकी मौसी के घर से गिरफ्तार कर लिया।
इसके बाद दिल्ली पुलिस की टीम फरीद को अपनी हिरासत में लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो गई। शुक्रवार को आरोपी फरीद को कोर्ट में पेश किया गया। उल्लेखनीय है कि 16 अप्रैल को दिल्ली में हनुमान जयंती के मौके पर शोभायात्रा के दौरान हिंसा हुई थी, जिसमें करीब 9 लोग घायल हो गए थे। तामलुक थाने के आईसी अरूप सरकार ने कहा कि आरोपी एसके फरीद अपनी मौसी के घर में रह रहा था। हमें पता चला कि उनका परिवार बंगाल में नहीं रहता है। उसका मूल घर नामलाख्या, महिसादल क्षेत्र में था और 34 साल से पहले वह (आरोपी का परिवार) इस जगह को छोड़कर दिल्ली में रहने लगा था।
दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने उसे शुक्रवार को दिल्ली की अदालत में पेश किया। सूत्रों के अनुसार वह सांप्रदायिक दंगे में बहुत ही सक्रिय रूप से संलिप्त था और अहम भूमिका निभाई थी। हमारी कई टीमें पश्चिम बंगाल में तैनात की गई थीं। सूत्रों ने बताया कि दंगों के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया था और तब से वह लगातार अपना ठिकाना बदल रहा था। उन्होंने बताया कि आरोपी पश्चिम बंगाल में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूम रहा था।
सूत्र की मानें तो वर्ष 2010 से अबतक उसके खिलाफ लूटपाट, छिनैती, चोरी और शस्त्र कानून के तहत छह मामले दर्ज किए गए थे और वह जहांगीरपुरी इलाके का हिस्ट्रीशीटर है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि उसके ऊपर पहले से ही 6 मुकदमे दर्ज हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले गुरुवार को ही दिल्ली पुलिस ने जहांगीरपुरी केस के सिलसिले में जफर और बाबुद्दीन नामक दो आरोपियों को पकड़ा था। इनका अंसार से सीधा कनेक्शन बताया जा रहा है और पुलिस ने दावा किया कि ये दोनों अंसार को अच्छी तरह से जानते हैं।
गौरतलब है कि 16 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव के दौरान निकाली गई ‘शोभायात्रा’ के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के जहांगीपुरी इलाके में दो समुदायों में झड़प हो गई थी, जिसमें आठ पुलिस कर्मी और एक आम व्यक्ति घायल हो गया था। पुलिस के मुताबिक झड़प के दौरान पत्थरबाजी और आगजनी हुई और कुछ वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। जहांगीरपुरी की घटना के कुछ दिन बाद दिल्ली के पुलिस आयुक्त रोकेश अस्थाना ने प्रवर्तन निदेशालय को पत्र लिखकर मामले के मुख्य आरोपी पर लगे धन शोधन के आरोपों की जांच करने को कहा। पुलिस ने मामले के पांच आरोपियों के खिलाफ सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की है।