पति को घर से बेदखल करना और प्रवेश रोकना उचित नहीं

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सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली । एक महिला ने पति को घर से बेदखल करने और घर में उसका प्रवेश रोकने के लिए अदालत में याचिका दायर की, लेकिन अदालत ने महिला की इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि महिला का पति इस मकान का साझेदार है। इसके अलावा उसके पास रहने को अन्य कोई जगह नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि जहां तक घरेलू हिंसा से बचाव की बात है तो महिला को सुरक्षात्मक माहौल देना कानून की जिम्मेदारी है।

तीस हजारी कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हिमानी मल्होत्रा की अदालत ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि महिला दो बच्चों के साथ मकान की दूसरी मंजिल पर रहती है, जबकि पति ग्राउंड फ्लोर पर अकेला रहता है। दोनों पक्षों का एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है। फिर भी महिला द्वारा पति को ग्राउंड फ्लोर के हिस्से से बेदखल करने और वहां आने से रोकने की मांग का कोई कारण नजर नहीं आ रहा है। अदालत ने यह भी कहा कि महिला ने याचिका में अजीबोगरीब बातें कही हैं, जैसे कि पति अपने हिस्से के ग्राउंड फ्लोर पर गंदगी फैलाकर रखता है जिससे बदबू आती है।

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अदालत ने कहा कि पति अपने हिस्से में गंदगी फैला रहा है, इस पर आपत्ति उचित नजर नहीं आती। महिला की घरेलू हिंसा की शिकायत पर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने संज्ञान लेते हुए एक साल पहले ही पति के दूसरी मंजिल पर जाने से रोक लगा चुकी है। महिला का आरोप था कि पति लंबे समय से उसे शारीरिक व मानसिक तौर पर प्रताड़ित कर रहा है। अदालत ने दिसंबर 2020 में महिला व बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए प्रतिवादी पति को निर्देश दिया था कि वह दूसरी मंजिल पर रह रही पत्नी और उसके बच्चों से किसी तरह का संपर्क न करे और दूसरी मंजिल पर कदम न रखे।

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