प्रयागराज । अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत को लेकर जांच बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। लेकिन जांच में जुटे अधिकारी बहुत ही फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। वह जल्दबाजी में कोई भी खुलासा करने के पक्ष में नहीं हैं। इस बीच महंत नरेन्द्र गिरी का कथित सुसाइड नोट सार्वजनिक हो गया है। जिसमें उन्होंने अपने पुराने शिष्य आनंद गिरी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह मेरे चरित्र हनन के प्रयास में लगा था और यदि ऐसा हो जाता तो मैं कहां तक सफाई देता रहता।
सुसाइड नोट में महंत ने कहा है कि आनंद गिरि उन्हें ब्लैकमेल कर रहे थे। आनंद गिरि ने एक लड़की और उनकी तस्वीर के साथ छेड़छाड़ किया था। नोट में लिखा है कि उन्हें सूचना मिली थी कि आनंद गिरि ने अपने कंप्यूटर पर फोटो को मॉर्फड कर दिया है और इसे जल्द ही सार्वजनिक करने की तैयारी कर रहे हैं। आनंद ने मुझसे कहा कि एक बार ये आरोप फैल जाने के बाद आप कितने लोगों को अपनी बेगुनाही साबित करेंगे? हालांकि, शीर्ष पुलिस अधिकारी इस कोण से इनकार कर रही हैं जिससे नरेंद्र गिरी की रहस्यमय मौत हो सकती थी। आनंद गिरी को अब आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है।
अतिरिक्त डीजी (प्रयागराज जोन) प्रेम प्रकाश ने गिरी की मौत की जांच के लिए 18 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है। वहीं दूसरी ओर प्रयागराज और हरिद्वार के संतों ने अब आरोप लगाया कि उनकी मृत्यु उन लोगों द्वारा एक साजिश का परिणाम थी, जो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख के रूप में उनके द्वारा किए गए विवादास्पद फैसलों की एक श्रृंखला से नाराज थे। साल 2017 में, नरेंद्र गिरि नकली तपस्वियों की एक सूची के साथ सामने आए थे, जिससे कई लोग नाराज थे। तब उन्होंने कहा था, “ऐसे पाखंडी बाबाओं को जेल में डाल देना चाहिए। उनकी संपत्ति की जांच होनी चाहिए।” इस मामले ने पूरे देश में साधु समुदाय के भीतर आक्रोश तेज कर दिया था। उन्होंने दो महीने बाद दिसंबर में और नकली साधुओं के नाम के साथ एक और सूची की घोषणा की थी।
वहीं साल 2019 में, नरेंद्र गिरि पर एक संपत्ति विवाद को लेकर दरियागंज (इलाहाबाद) में पंचायती अखाड़े के सचिव आशीष गिरी की हत्या के मामले में आरोप लगाया गया था। आशीष रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाया गया और बाद में पुलिस जांच में नरेंद्र गिरी को क्लीन चिट दे दी गई। नरेंद्र गिरि ने कुंभ 2021 के दौरान संतों के एक वर्ग को भी नाराज कर दिया था, जब उन्होंने उत्सव में पहली बार पेश किए गए किन्नर अखाड़े को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की मान्यता देने से इनकार कर दिया था। फिलहाल जब महंत की मौत पर से परदा उठ नहीं जब जाता तब तक कयासों और अटकलों का बाजार गर्म रहेगा।