Monday, June 5, 2023

बलिया में पत्रकारों के साथ हुई घटना को लेकर मऊ में पत्रकारो ने किया प्रर्दशन

  • पत्रकारों की तत्काल रिहाई और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सौंपा पत्रक
    मऊ। बलिया में पेपर लीक मामले में पत्रकारों की गिरफ्तार कर जेल भेजने की घटना से मऊ जनपद के पत्रकारों में काफी आक्रोश है। पत्रकारों की रिहाई और दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई की मांग को लेकर जिले के पत्रकार लामबंद हैं। सैकड़ों की संख्या में जिले के पत्रकारों ने कलेक्ट्रेट परिसर में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। पत्रकारों ने राज्यपाल को संबोधित पत्रक जिलाधिकारी अरुण कुमार को सौंपकर पत्रकारों की जल्द रिहाई और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। इस दौरान पत्रकारों ने बलिया प्रशासन के विरोध में जमकर नारे लगाए।
  • पत्रक सौंपने के बाद धरना स्थल पर पत्रकारों ने धरना दिया। धरना स्थल पर बलिया के जिलाधिकारी के जमीर की मृत्यु होने की बात कह सभी ने दो मिनट का मौन भी रखा। जनपद के विभिन्न पत्रकार संगठन इसमें शामिल हुए। पत्रकारों ने हाथ पर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। विभिन्न पत्रकार संगठनों की ओर से राज्यपाल के नाम पांच सूत्रीय पत्रक जिलाधिकारी अरुण कुमार को सौंपा गया। जिसमें मांग किया गया कि बलिया के निर्दोष पत्रकार अजीत ओझा, दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता को तत्काल रिहा किया जाए।
  • निर्दोष पत्रकारों पर दर्ज मुकदमा तत्काल वापस लिया जाए। लोकतंत्र के चैथे स्तंभ का दमन किए जाने की नियत से की गई कार्रवाई के लिए दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो। पेपर आउट मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। ताकि आगे से कोई भी युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने की हिम्मत न जुटा सके। साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा के लिए अविलम्ब जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एक्ट बनाया जाए। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार हरिद्वार राय ने कहा कि सच उजागर करने पर बलिया में पत्रकारों को जेल में बंद किया जाना अत्यंत निंदनीय है। श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के महामंत्री नागेंद्र राय ने कहा कि पत्रकारों को तत्काल रिहा करने के साथ दोषियों के विरूद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
  • वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने कहा कि पत्रकारों को घुटने पर लाने की बलिया प्रशासन की मंशा किसी भी कीमत पर कामयाब नहीं होगी। वरिष्ठ पत्रकार ब्रह्मानंद पांडेय ने पत्रकारों पर कार्रवाई को अनुचित ठहराया और तत्काल तीनों पत्रकारों की रिहाई की मांग की। वरिष्ठ पत्रकार राहुल सिंह ने कहा कि प्रशासनिक नाकाबंदी कर पत्रकारों की कलम चलने से रोका जा रहा है। मऊ जिले के पत्रकार बलिया के पत्रकारों के न्याय की लड़ाई लड़ते रहेंगे। वरिष्ठ पत्रकार संजय मिश्रा ने कहा कि भारत का चैथा स्तंभ कही जाने वाली मीडिया आज खतरे में है। पत्रकार डरने व डिगने वाले नहीं है।
  • वरिष्ठ पत्रकार किंकर सिंह ने कहा कि अपनी नाकामी छुपाने के लिए बलिया प्रशासन ने बेकसूर पत्रकारों को निशाना बनाया है। वरिष्ठ पत्रकार वेद मिश्रा ने कहा कि पत्रकारों को जेल भेजना लोकतंत्र की भावना से खिलवाड़ है। वरिष्ठ पत्रकार अमरेश सिंह ने कहा कि इस तरह की कार्रवाईयों को पत्रकार बर्दाश्त नहीं करेंगे। वरिष्ठ पत्रकार संजय राय ने कहा कि बलिया जिला प्रशासन द्वारा साजिश के तहत व्हाट्सएप पर प्रश्नपत्र मंगवाकर मुकदमा कायम करना सरासर गलत है।
  • वरिष्ठ पत्रकार आनंद गुप्ता ने कहा कि पत्रकार साथियों की रिहाई और संबंधित सभी अधिकारियों पर कार्रवाई होने तक यह आंदोलन चलता रहेगा। इस दौरान कई वरिष्ठ पत्रकारों ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर पत्रकार हरिद्वार राय, नागेन्द्र राय, संजय राय, प्रवीण राय, जय प्रकाश निशाष, हरिओम राय, रंजीत राय, दुर्गा किंकर सिंह, अप्पू सिंह, चंद्रशेखर श्रीवास्तव, विनय श्रीवास्तव, जाहिद इमाम, सुमित, नौशाद अहमद, अभिषेक मिश्रा, चंद्रप्रकाश तिवारी, रईस अहमद, फहद काजमी, शादाब काजमी, मो. अशरफ, शनि प्रकाश पांडेय, विकास सिंह निकुंभ, एचएन आजमी, अभिषेक सिंह, अभिषेक राय, अमित चैहान, विष्णुकांत श्रीवास्तव, अमित त्रिपाठी, मो. अशरफ, धर्मेंद्र, अजय, जैन अली, अजीत सिंह, नवरत्न शर्मा, रईश अहमद, विनोद शर्मा, विश्वजीत, शाहिद, अफजल, सत्य प्रकाश, सुभाष यादव, रजनीकांत पांडेय, दुर्गा मिश्र, पुनीत श्रीवास्तव, प्रवीण श्रीवास्तव, प्रेम शंकर पांडेय, एचएन सिंह, अरुण राय, मदन मुरारी जायसवाल, धीरेंद्र मौर्या, राजीव रंजन सहित काफी संख्या में पत्रकार उपस्थित रहे।

सओ सरायलखंसी द्वारा आईजीआरस के जबाव की जांच की मांग
—एसओ ने पदीय अधिकारों की आड़ में दी मनमानी तथ्यहीन रिपोर्ट, संवाददाता पर ऐसे मामले में सुलह को दबाव का लगाया आरोप जिसमे संवाददाता द्वारा की गई पीआईएल पश्चात दर्ज हुई है एफआईआर
(ब्यूरो कार्यालय मऊ)
मऊ ( खरी दुनिया)। थाना प्रभारी सरायलखनसी के के गुप्ता के द्वारा पदीय अधिकारों की आड़ में किसी भी ब्यक्ति के ऊपर बिना साक्ष्य किसी भी प्रकार का आरोप लगाने का काम किया जाता है। इसका खुलासा दिनाक 22 मार्च को समय करीब 3 बजे के आसपास ईएमएस के पत्रकार की पीआईएल से दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 462/२१ के विवेचक से मिलने के लिए थाने पर जाया गया था, इस दौरान बतौर प्रभारी के के गुप्ता के द्वारा संवाददाता / अधिवक्ता के प्रति आपराधिक कृत्य को अंजाम दिया गया। जब इस मामले को लेकर संवाददाता ने आईजीआरयस आदि से शिकायत की तो शिकायत के निस्तारण में शिकायतकर्ता के खिलाफ बिना साक्ष्य के आरोप लगाते हुए एक तरफ किसी भी तरह की वार्ता से इनकार किया तो वही पर नाराजगी को लेकर वार्ता की बात कहते हुए, संवाददाता के द्वारा की गई सिफारिशों को न मानने पर पेशेबन्दी में शिकायत का आरोप लगाया गया है।

मजे की बात यह है प्रभारी ने शिकायतकर्ता पर शिफारिसे को न मानने पर पेशेबन्दी में जो आरोप लगाए गए है उसमें यह नही बताया गया है कि शिकायतकर्ता ने उनसे कब -कब ,किस-किस मामले में और कहा- कहा पर मिलकर या फिर मोबाइल से कब-कब शिफारिसे की गई है, जिसको न मानने पर उनके खिलाफ शिकायते की गई है? का हवाला नही दिया गया है। प्रभारी निरीक्षक के के गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि उनके द्वारा मुकदमा अपराध संख्या 462/21 के विवेचक से जब मामले को गुणदोष के आधार पर निस्तारित करने की बात कही तो शिकायतकर्ता नाराज हो गया क्योकि वह मामले को सुलह चाहता था, बताते चले कि जिस मामले में गुप्त ने समझौता कराने का संवाददाता पर आरोप लगा रहे है वह मुकदमा संवाददाता के ही पीआईएल के क्रम दर्ज है। बहरहाल खरी दुनिया स्रायलखनसी के द्वारा पदीय अधिकारों की आड़ में की जा रही मनमानी की न्यायहित में जांच जरूरी है।

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"डंके की चोट " पर मै खरी दुनिया हू मै खरी दुनिया हू.... मै भ्रष्टाचारियों के बीच अकेला, लेकिन खरी दुनिया हू, मै हर हाल मे उन खबरो को, लोगो तक पहुचाने की कोशिश करता हू, जो अधिकांश बिकाऊ और बिकी मीडिया से, अपने "आका" के इशारे पर छुपा दी जाती हैं। मै इस लिए खरी दुनिया हू, क्योकि हमारी सरकार यानि "भारतीय जनता पार्टी " भ्रष्टाचार और अपराध को लेकर "जीरो टालरेंस " क़ी हिमायती हैं। मै भाजपा की इस नीति का पालन करने और कराने के लिए "डंके की चोट" पर कफ़न "सर" पर लिए खुद को नियमबद्ध रखते हुए हाजिर हू....मै खरी दुनिया हू.... भ्रष्टाचारीयो मे अफसर हो, या गाव का प्रधान, मै पदीय अधिकारों क़ी आड़ मे क़ी गई उनकी अनियमित्ता के साक्ष्य को खोजने का काम करता हू , .....क्योकि मै खरी दुनिया हू।
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