बाइडेन के भाषण से साफ!

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बाइडेन के भाषण- नई दिल्ली । अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा को पहली बार संबोधित कर अमेरिकी विदेश नीति की तस्‍वीर को साफ कर दिया है। उनके भाषण (बाइडेन के भाषण) में सबसे ज्‍यादा चिंता चीन को लेकर दिखाई दी। उन्‍होंने कहा कि अमेरिका अब किसी दूसरे शीतयुद्ध का कारण नहीं बनेगा।बाइडन के पूर्ववर्ती डोनाल्‍ड ट्रंप के विपरीत उन्‍होंने चीन और रूस के साथ बढ़ते तनाव को कम करने का भी संदेश दिया है। बाइडन ने कोरोना वायरस, आतंकवाद, अफगानिस्‍तान और ईरान पर भी अपनी नीति को स्‍पष्‍ट किया है अफगानिस्‍तान मुद्दे पर देश की नाराजगी झेल रहे बाइडन ने अमेरिकी नीति को साफ किया।


अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के भाषण को लेकर विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति के भाषण का इंतजार सभी को था। रूस और चीन की निगाहें भी उनके भाषण पर टिकी थी। उन्‍होंने कहा कि संयुक्‍त राष्‍ट्र में बाइडन ने एक तरह से अमेरिकी विदेश नीति का एजेंडा तय किया है। उन्‍होंने कहा कि बाइडन ने दुनिया के सभी ज्‍वलंत मुद्दों को उठाया है। उन्‍होंने सारे पहलुओं को छुआ है, जो बाइडन प्रशासन के लिए चिंता का व‍िषय है। बाइडन की विदेश नीति अपने पूर्ववर्ती ट्रंप की तरह अग्रेसिव नहीं है। उसमें एक तरह की उदारता है। ट्रंप की विदेश नीति दुश्‍मन को कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से घेरने पर केंद्रीत थी। फ‍िर वह चाहे ईरान रहा हो रूस अथवा चीन। ट्रंप की न‍ीति इन देशों के प्रति अग्रेसिव रही है। उन्‍होंने कहा कि बाइडन ने नए शीतयुद्ध का जिक्र करके यह साफ कर दिया है कि वह चीन से किसी तरह के संघर्ष की तैयारी नहीं चाहते। उनका इशारा चीन के साथ भी वार्ता या कूटनीति के जरिए समस्‍याओं के समाधान की ओर है।

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बाइडन ने राष्‍ट्रपति चुनाव के वक्‍त ही अपनी विदेश नीति की ओर इशारा करते हुए कहा था कि वह चीन के साथ सामान्‍य संबंध रखने वाले है। समस्‍याओं को कूटनीति और वार्ता के जरिए समाधान करने वाले है। बाइडन उस न‍ीति पर कायम है। इसके बाद बाइडन ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया कि जिससे चीन को चुनौती मिले। बाइडन ने कहा कि वह दुनिया का बंटवारा नहीं करना चाहते। इसका आशय साफ है कि वह किसी भी हाल में एक नए शीत युद्ध को प्रोत्‍साहित नहीं करने वाले है।


वहीं बाइडन ने ईरान के प्रति भी उदार दृष्टिकोण अपनाया है। हालांकि, राष्‍ट्रपति बाइडन ने सख्‍त लहजे में कहा है कि वह ईरान को किसी भी हाल में परमाणु शक्ति संपन्‍न देश नहीं बनने देने वाले है। जब बाइडन अपने भाषण में यह कहते हैं कि अमेरिका ईरान को परमाणु हथियार पाने से रोकने को लेकर प्रतिबद्ध है तो वह अमेरिकी विदेश नीति के सैद्धांनिक नियमों का पालन करते हुए प्रतीत होते हैं। ईरान के मामले में ट्रंप की नीति काफी अग्रेसिव थी। उन्‍होंने कहा कि ईरान की तर्ज पर बाइडन कोरियाई प्राद्वीप की समस्‍या का समाधान चाहते हैं। वह कोरियाई प्रायद्वीप में भी किसी तरह के विवाद से बचना चाहते हैं। उन्‍होंने अपने भाषण में यह सकेंत दिया है क‍ि समस्‍या के समाधान के लिए कूटनीति के रास्‍ते शांति चाहते हैं।

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