नई दिल्ली । भारत को आज ऐसा खतरनाक हथियार मिलने वाला है जिसके बाद समुद्र में हिन्दुस्तान की ताकत और बढ़ जाएगी। दुश्मन की न्यूक्लियर मिसाइलों को ट्रैक करने वाला भारत का पहला जहाज आईएनएस ‘ध्रुव’ आज लॉन्च होने जा रहा है। यह भारत का ऐसा पहला जहाज है जो परमाणु और बैलेस्टिक मिसाइल को ट्रैक कर सकता है। इसके बाद समंदर में चीन और पाकिस्तान की हर हिमाकत का पहले से अधिक ताकत के साथ इंडियन नेवी मुंहतोड़ जवाब देगी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल विशाखापट्टन में इसे लॉन्च करने वाले हैं।
भारतीय नौसेना, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन के वरिष्ठ अधिकारी भी इस दौरान उपस्थित रहेंगे। 10,000 टन का यह खतरनाक जहाज भारत की भविष्य की एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता के केंद्र में होगा, क्योंकि यह भारतीय शहरों और सैन्य प्रतिष्ठानों की ओर आने वाली दुश्मन की मिसाइलों के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करेगा और यह उस हमले को फेल करने की भी क्षमता रखता है। इतना ही नहीं, यह जहाज हिंद महासागर में भारत के समुद्री रक्षा घेरे को मजबूत करेगा और दुश्मनों से अलर्ट रखेगा।
सबसे खास बात यह है कि यह ऐसे समय में चालू किया जा रहा है जब पूरी दुनिया में पानी के नीचे सशस्त्र और निगरानी ड्रोन का युग शुरू हो गया है। आईएनएस ध्रुव को हिंदुस्तान शिपयार्ड ने डीआरडीओ और एनटीआरओ के सहयोग से बनाया है और अब यह भारतीय नौसेना का गौरव बढ़ाने के लिए तैयार है। इस जहाज में कई नई तकनीके हैं। मिसाइल ट्रैक करने वाला यह जहाज रडार और एंटीना लैस है. यह दूर से ही दुश्मन के मिसाइल या रॉकेट को ट्रैक कर सकता है।
-ध्रुव के पास डीआरडीओ द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक सक्रिय स्कैन एरे रडार (एईएसए) भी है, जिससे यह विभिन्न स्पेक्ट्रमों को स्कैन कर सकेगा और भारत पर नजर रखने वाले जासूसी सैटेलाइट्स की निगरानी भी कर पाने में सक्षम होगा। ध्रुव भारत का पहला नौसैनिक पोत है जो लंबी दूरी पर परमाणु मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम है और भारत-प्रशांत क्षेत्र में परमाणु बैलिस्टिक युद्ध के बढ़ते खतरे को देखते हुए यह विशेष महत्व रखता है।
चीन और पाकिस्तान दोनों के पास परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता और भारत के साथ सीमा विवाद होने की वजह से आईएनएस ध्रूव की महत्ता और बढ़ जाती है। चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच आईएनएस ध्रुव भारत की समुद्री सुरक्षा घेरा के लिए एक ताकत के रूप में कार्य करेगा और साथ ही जब वे उनका परीक्षण करेंगे तो विरोधी की बैलेस्टिक मिसाइल क्षमता को समझने की क्षमता में वृद्धि करेगा।