नई दिल्ली । रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत ने तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत विदेश से लंबित सभी तरह की रक्षा खरीद योजना पर समीक्षा की जा रही है। जो रक्षा उपकरण अत्यंत आवश्यक होंगे, सिर्फ उसी की खरीद की जाएगी। बाकी सभी लंबित खरीद को या तो निरस्त कर दिया जाएगा या इसमें कटौती कर दी जाएगी। नए नियम के तहत किसी भी देश से ऐसे रक्षा उपकरणों की खरीद नहीं की जाएगी, जिनका घरेलू स्तर पर उत्पादन संभव है।
इमरजेंसी की स्थिति में ही विदेश से रक्षा उपकरण खरीदे जाएंगे। पिछले माह दिसंबर में रक्षा सचिव अजय कुमार की अध्यक्षता में हुई रक्षा मंत्रालय की आंतरिक बैठक में इस बात की सैद्धांतिक सहमति बन गई कि भारत आगे से रक्षा उपकरणों का आयात नहीं करेगा। इसके बाद पिछले एक महीने से इस मुद्दे पर व्यापक रूप से समीक्षा बैठक हो रही है। बैठक के आधार पर चला है कि भारत उन वैश्विक रक्षा खरीद में भी कटौती कर सकता है, जिनपर पहले से सहमति बन चुकी है या जिनपर समझौता हो चुका है।
सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय के डिफेंस प्रोडक्शन एंड एक्सपोर्ट प्रोडक्शन एंड एक्सपोर्ट प्रमोशन पॉलिसी के मसौदे के बाद यह दिशानिर्देश दिया गया है। इससे पहले इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय और रक्षा मंत्रालय के बीच बैठक हुई थी। इसके बाद रक्षा मंत्रालय की आंतरिक बैठक में वैश्विक रक्षा उपकरणों की खरीद पर रोक की लगभग सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। इसके बाद से रक्षा मंत्रालय में कई दौर की बैठक हो रही है।
बैठक में निर्णय लिया जाना है कि कौन सी वैश्विक खरीद बहुत ज्यादा जरूरी है, जो रक्षा खरीद बहुत ज्यादा जरूरी है, सिर्फ उसी पर विचार किया जा रहा है। इसमें पहले की कई रक्षा खरीद में कटौती की जा सकती है। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि जिन वैश्विक रक्षा खरीद के लिए सहमति बन गई थी या जिनका ऑर्डर दिया जा चुका, उन खरीद पर भी समीक्षा की जा रही है। एक अन्य सूत्र ने बताया कि रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में संशोधन किया जाएगा। इसमें सिर्फ उसी खरीद को मंजूरी मिलेगी जो अत्यंत आवश्यक है। सूत्रों ने बताया कि पीएमओ ने इमरजेंसी खरीद के लिए भी केवल स्वदेशी वस्तुओं पर जोर दिया है। अगर किसी रक्षा उपकरण की विदेश से खरीद की अत्यंत आवश्यकता है, तो अपवादस्वरूप केवल रक्षा मंत्री ही इस पर निर्णय ले सकते हैं।
इस फैसले से विदेश से कई खरीद पर असर पड़ेगा लेकिन रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा। भारत में निजी क्षेत्रों को भी स्वदेशी निर्माण के लिए ऑर्डर मिलेंगे। एक अधिकारी ने बताया कि सरकार के इस फैसले से विदेश से लंबित कई खरीद पर असर पड़ेगा। उदाहरण के लिए, इग्ला-एस वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस (वीएसएचओआरएडी) सिस्टम और रूस से कामोव -226 टी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों के साथ-साथ कई विमानों और बंदूकों को विदेश से मंगाए जाने की कई लंबित योजना ठंडे बस्ते में चली जाएगी।