राहुल, सत्यम और बिनायक हॉस्पिटल है एक वानगी
ब्रह्मानंद पांडेय
मऊ ( ईएमएस)। उत्तर प्रदेश में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के लागू हिने के बाद से जिले करीब करीब सभी हॉस्पिटल अबैध होते हुए इलाज के नाम पर वसूली में लिप्त है। मजे की बात यह है कि जिलाधिकारी कार्यालय भी इन हॉस्पिटलों को लेकर आंख में नीद तो कान में तेल डालें हुए है।
बिभागीय सूत्रों के अनुसार प्रशासन की नाक के नीचे संचालित राहुल हॉस्पिटल, सत्यम हॉस्पिटल, बिनायक हॉस्पिटल, की बिल्डिंग्स नेशनल बिल्डिंग कोड 2005 के विपरीत होते हुए तथ्यगोपन कर पास कराये गए नक्शे की बदौलत हॉस्पिटल का संचालन कर रहे है। सत्यम हॉस्पिटल की बिल्डिंग्स आदि को लेकर तत्कालीन जिलाधिकारी अमित सिंह बंसल ने हॉस्पिटल प्रबन्धन द्वारा पूर्व में पास कराये गए नक्शे और प्रस्तावित नई बिल्डिंग के नक्शे को लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुए निर्माण पर रोक लगा दी थी । डीएम के जाते ही नियत प्राधिकारी कार्यालय में सत्यम हॉस्पिटल की बिल्डिंग्स आदि को लेकर आपत्तियां समाप्त कर दी गई, और निर्माण पूरा करा हॉस्पिटल को संचालित करा।दिया गया। जब कि पूर्व बिल्डिंग के पास नक्शे की शर्तों और नई बिल्डिंग की शर्तों में आज भी बड़े पैमाने का अंतर है। कमोबेस यही हाल राहुल हॉस्पिटल का भी है। इस हॉस्पिटल की भी बिल्डिंग न तो एनबीसी 2005 के तहत है न ही नियमानुसार सीएफओ द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र। सीएफओ द्वारा नियम विरुद्ध जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र के सहारे इन हॉस्पिटलों का हो रहा संचालन। मजे की बात तो यह है कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के लागू होने के बाद से जिले का कोई ऐसा हॉस्पिटल नही है जिसपर सवाल न उठता हो, मगर कागज में सब ठीक, प्रशासन आंख में नीद और कान में।तेल डालें मौन साधे हुए है। देखना है एक्ट के लागू होने बाद से कितने हॉस्पिटलों से डीएम एक्ट में कही बातों को लागू करवा पाते है।
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