—3 जनवरी और 22 जनवरी 2022 को अपराध के साक्ष्यो के साथ एसपी मऊ को दी गई तहरीर पर एसपी ने मुकदमा दर्ज कराने की जगह मामले की सीओ से कराई जांच
–सीओ ने तहरीर के तथ्यों को ऐसे घटने का किया काम जैसे दाल चावल का हो निवाला, साक्ष्यो को घोंट एसपी को दी रिपोर्ट
ब्रह्मा नंद पांडेय
मऊ(खरी दुनिया)। पुलिस अधीक्षक और क्षेत्राधिकारी मऊ के द्वारा अपराध और अपराधियों को संरक्षित करने में कानून का हर रोज गला घोंटा जा रहा है । पदीय अधिकारों की आड़ में अपराध और अपराधियों को संरक्षण देने की करतूत का खुद् क्षेत्राधिकारी मऊ ने ईएमएस की एक तहरीर (जिसमे आरोपियों के खिलाफ धोखधड़ी, जालसाजी के साथ सरकारी धनो को हड़पने के साथ गालियों के साथ जान से मारने की धमकी के साक्ष्य मौजूद थे) पर बिना मुकदमा पंजीकृत किये ,जांच में आरोपियों के खिलाफ ईएमएस के द्वारा दिये गए साक्ष्यो का गला घोंट कर रिपोर्ट एसपी को सुपुर्द कर दी है ।
एसपी अपने इस सीओ के साथ मिलकर (सीओ,सदर) पदीय अधिकारों की आड़ किस तरह से अपराध और अपराधियों को संरक्षित करते है? इसका खुलासे उन्होने “ईएमएस” द्वारा की गई शिकायत की जांच की रिपोर्ट से किया है।
सीओ सिटी धनंजय मिश्र ने पदीय अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए जिस तरह से आरोपियों के खिलाफ साक्ष्यो को गला घोंटने का काम किया है उससे इस बात के संकेत मिलते है कि अपराध और अपराधियों के संरक्षण में खुद पुलिस अधीक्षक घुले सुशील चन्द्रभान भी उतने ही जिम्मेदार है जितना कि क्षेत्राधिकारी धनंजय मिश्र। बतौर सीओ धनंजय मिश्र ने शिकायतकर्ता “ईएमएस” की तहरीर में मौजूद सरकारी विभागों के अफसरों के पत्रांको को भी जिस तरह से निगलने का काम किया है उससे एसपी की भी भूमिका पूरी तरह से सन्दिग्ध दिख रही है।
मजे की बात यह है यह है कि तहरीर की जांच में सीओ , डीएम द्वारा कराए गए जांच में नायब तहसीलदार की रिपोर्ट को भी घोंटने से पीछे नही हटे। सीओ द्वारा पदीय अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए जिस तरह से रिपोर्ट लगाई गई है वह उनके और अपराधियों को बीच की साठ गाँठ को साबित करता है। सीओ की यह रिपोर्ट एक बानगी भर है जिसमे उन्होंने अपनी कलम से 4 आरोपियों को उनके किये गए अपराध की सजा को दिलाने में शिकायतकर्ता को लम्बी दूरी तय करने के लिए जहां बाध्य किया तो वही पर आरोपियों के अपराध करने के बाद के हौशलो में चार चांद लगाने का भी काम किया है। सीओ द्वारा एसपी मऊ द्वारा अपराध और अपराधियो के संरक्षण में जिस तरह से पदीय अधिकारों की आड़ में मनमानी की जाती है उससे महकमे को दागदार होने से कोई नही रोक सकता है। नियमो को ताक पर रखकर एक तो बिना “एफआईआर” महकमा “जांच” कराता है फिर इस दौरान विपक्षियों से मिलकर शिकायतकर्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर अपराध और अपराधियों को संरक्षण देने का काम करता है। क्षेत्राधिकारी के साथ एसपी मऊ ने अपने नियम विरुद्ध कारनामे का खुलासा “ईएमएस” के द्वारा सत्यराम जनता एंटर कॉलेज कल्याणपुर के प्रधानाचार्य और प्रबन्धक के द्वारा बिद्यालय के खाते से अपने दो बाबुओ के माध्यम से चेक के माध्यम से की गई लाखो की नकद निकासी कर सरकारी धनो की गई लूट के साथ ही संयुक्त शिक्षा निदेशक आज़मगढ़ मंडल आज़मगढ़ के द्वारा बिद्यालय प्रबन्धक द्वारा बिद्यालय के खाते से की गई नकद निकासी और निर्माण को साबित करने के लिए लगाए गए कूटरचित प्रमाणको के आधार पर की गई “16 डी” की कार्रवाई को भी झूठा साबित करते हुए “ईएमएस” के द्वारा दिये गए शिकायत के संदर्भ में सलग्न साक्ष्यो को घोंट कर आरोपियों के पक्ष में रिपोर्ट लगा कर दी है। शहर क्षेत्राधिकारी धनंजय मिश्र के द्वारा ईएमएस की शिकायत की जांच के दौरान संयुक्त शिक्षा निदेशक आज़मगढ़ मण्डल आज़मगढ़ के द्वारा की “16 डी” की कार्रवाई के साक्ष्य को किस आधार पर घोंटा गया ? फर्म राम चन्द्र सिंह के नाम की कूटरचित “बिलों” को भी सीओ ने जिस तरह से घोंटा है उससे लगता है कि “सीओ” ने जांच में एसपी की भूमिका है। यदि ऐसा नही होता तो एसपी के द्वारा तहरीर में संज्ञेय अपराधों और उसके साक्ष्यो पर जांच कराने की जगह उसकी पहले एफआईआर दर्ज की जाती। बताते चले कि ईएमएस के द्वारा बिकास खण्ड परदहां के ग्राम सभा अहिलाद में बिना निर्माण कराये सरकारी धनो के दुरुपयोग को लेकर थाना सरायलखनसी में दर्ज अपराध संख्या 462/21 की विवेचना को भी प्रभावित किया जा रहा है। बताते चले कि यह मामला भी 419/420/467/468/471/409 से सम्बंधित रहते हुए आज तक इस मामले में साक्ष्य रहते हुए साक्ष्यो का उनके विवेचक के द्वारा गला घोंटने का काम किया जा रहा है वावजूद इसके एसपी मऊ और क्षेत्राधिकारी मऊ मूंक दर्शक बने नौकरी कर रहे है। हालांकि शुक्रवार को करीब 10 बजे सीओ से उनकी रिपोर्ट को लेकर जब बातचीत की गई तो ,उन्होंने बातचीत के दौरान ऐसा प्रदर्शित किया कि उन्हें उनके हस्ताक्षर से जारी रिपोर्ट के बारे में जानकारी ही नही है, उन्होंने कार्यालय पहुच कर इस संदर्भ में बात करने की बात कही।
“कानून” का हर रोज “गला” “घोंट” रहे “एसपी” और “सीओ” के खिलाफ अदालत की ओर ईएमएस
मऊ (खरी दुनिया )। “सीओ” और “एसपी” के द्वारा संज्ञेय अपराधों पंजीकृत न करके हर रोज उच्च न्यायालय इलाहाबाद और प्रयागराज और सुप्रीम कोर्ट के आदेशो की अवहेलना की जाती है। प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पुलिस अधीक्षक को बीते 3 जनवरी और 22 जनवरी 2022 को दी गई तहरीर के मुताबिक आरोपियों के खिलाफ 419/420/467/468 /471 और 409 के साथ 504 और 506 के अपराध को दर्ज करने के लिए तहरीर दी गई थी। एसपी ने पदीय अधिकारों की आड में मनमानी करते हुए मामले में जांच के लिए सीओ सदर को जिम्मेदारी दी , सीओ ने ईएमएस में द्वारा दी गई तहरीर में उल्लिखित साक्ष्यो को घोंट डाला।जिसमे डीएम मऊ के द्वारा कराए गए जांच में आरोपियों को दोषी ठहराए रिपोर्ट की चटनी बनाकर पी गए। पुलिस अधीक्षक और सीओ की अपराध और अपराधियों के प्रति इस तरह का संरक्षण एक बानगी भर है। पहले प्राथमिकी दर्ज कर जांच/ विवेचना करने की कानून की व्यवस्था को पुलिस महकमा हर रोज पलीता लगाने का काम कर रहा है। पुलिस की इस कार्यप्रणाली को लेकर ईएमएस ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी शुरू कर दी है।
मऊ में जांच के बहाने “अपराध” के “साक्ष्यो” का हर रोज गला घोंट रहे एसपी मऊ और क्षेत्राधिकारी मऊ
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