— फातिमा हॉस्पिटल के मुख्य द्वार से अग्नि सामन विभाग के दमकल को प्रवेश करने के स्थान नही है, मुख्य सड़क से हॉस्पिटल के अंतिम छोर तक सड़क पर वाहनों का बेतरतीब जाम है बाधक
हॉस्पिटल परिसर मे हॉस्पिटल के चारो ओर नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार नही है ६ मीटर चौड़ा खुला रास्ता, पार्किंग स्थल भी है नक्शे से बाहर और है अबैध
ब्रह्मा नंद पाण्डेय –
Mau । वर्ष २००५ मे मेरठ के लक्षागृह मे अगलगी के बाद का सरकारी एक्शन या फिर दिल्ली मे हाल के दिनों मे हुई अगलगी की घटना, इन घटनाओ के बाद ही प्रसाशन ने अस्पताल प्रबंधन आदि की खामियों को खोजकर कार्यवाही कर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्ति ली है। इतिहास गवाह है घटना के बाद ही कार्यवाही होती है न कि घटना को रोकने मे कभी कार्यवाही को होते देखा है… इन्ही प्रसाशनिक परम्पराओ के आधार पर जनपद मऊ का भी प्रसाशन रिहाएसी भावनो मे चल रहे ३० से ३०० सैया तक के अस्पतालो मे किसी अनहोनी की घटना का शायद इंतज़ार कर रहा है। यहा दो दर्जन से अधिक निजी नर्सिंग होम्स ऐसे है जिनके भवन न तो नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार निर्मित है न ही नियमानुसार अग्निश्मन की इनके यहां ब्यवस्था है, बावजूद इसके प्रसाशन इन निजी अस्पतालो को लेकर बेपरवाह बना हुआ है। प्रसाशन की नाक के नीचे तमाम खामियों के साथ संचालित हो रहे पहले बड़े निजी नर्सिंग होम्स मे फातिमा हॉस्पिटल और उसके नियम विरुद्ध भवन के नक्शे की बात करे तो यह हॉस्पिटल पुरी तरह से विभागीय कृपा पर माहवारी के साथ बेरोकटोंक संचालित होता है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले मे मौजूद निजी नर्सिंग होम्स मे मौजूद फातिमा हॉस्पिटल नेशनल बिल्डिंग कोड के खिलाफ बने भवन मे बिना समुचित अग्नि समन आदि की ब्यवस्थाओ के संचालित किया जाता है।
नियमानुसार हॉस्पिटल प्रसाशन द्वारा पहले अपने हॉस्पिटल के भवन का नक्शा नियत प्राधिकारी को सौपुर्द किया जाता है,इसके बाद नियत प्राधिकारी द्वारा प्रस्तावित भवन के नक्शे को प्रोविज़नल रूप से सेक्शन करते हुए सीएफओ को निर्माण दौरान अग्नि समन की ब्यवस्थाओ के निरीक्षण और निर्माण पुरा होने के बाद सीएफओ द्वारा फाइनल अनापत्ति प्रमाण पत्र देने के बाद हॉस्पिटल के भवन का नक्शा फाइनली स्वीकृत किये जाने प्राविधान वर्ष २००५ मे जंकल्याण सेवा समिति द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंड पीठ मे दाखिल जनहित याचिका संख्या ५६९६(एम बी) / २००५ मे जारी आदेश बाद बने शासनादेश को देखने से सामने आता है। मजे की बात यह है की इस जनहित याचिका के बाद बने शासनादेश का आज तक जिले के कोसी हॉस्पिटल द्वारा पालन नही काराया गया। लिफाफे के चककर मे सीएफओ दफ्तर अग्नि सामन की अनापत्ति जारी करने मे निराधार तरीके से हॉस्पिटल प्रबंधन की प्रसंशा का पुल बाधता है तो प्रशासन अग्नि सामन विभाग द्वारा जारी इसी अनापत्ति प्रमाण पत्र के सहारे उन्हे संचालन की हरी झंडी देते आ रहा है।
नेशनल बिल्डिंग कोड २००५ के आधार पर फातिमा हॉस्पिटल की बात करे तो हॉस्पिटल भवन के चारो तरफ एनबीसी के अनुसार कम से कम ६ मीटर के रास्ते का अभाव है। हॉस्पिटल मे जाने का रास्ता हमेशा जाम से कराहता है।
प्रसाशन इस हॉस्पिटल के संचालन को निर्वाध चलने दे , पार्किंग की कोरम अदायगी मे मुख्य गेट पर ही पार्किंग का स्थान बना दिया है, जिसमे वाहन खड़े होने की जगह ९० फीसदी वाहन हॉस्पिटल के मुख्य गेट से लेकर हॉस्पिटल की अंतिम बॉउंड्री तक लगी सार्वजानिक सड़क तक खड़े रहते है। इन वाहनो के बेतरतीब खड़े होने से सड़क पर आने जाने वालो को पैदल तक आने जाने मे भारी दिक्क़तो का सामना करना पड़ता है।
ऐसी स्थिति मे किसी अनहोनी की स्थिति मे फायर विभाग के वाहनो का आना जाना और हॉस्पिटल मे प्रवेश असम्भव है। बावजूद इसके प्रसाशन इस हॉस्पिटल के अबैध संचालन को लेकर कान मे तेल डाले हुए ऐसे सोया है जैसे उसे किसी बड़ी अनहोनी के घटित होने का इंतज़ार है।