वाराणसी। बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। मंगलवार को फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में यहां विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने मुख्तार अंसारी को दोषी पाया है। न्यायालय बुधवार दोपहर में इस मामले में सजा सुनाएगी।
अदालत ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी पर लगाए गए भ्रष्टाचार के मामले में दोषमुक्त कर दिया है। मुख्तार अंसारी के खिलाफ साल 1990 में गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। 34 साल बाद मुख्तार अंसारी पर दोष सिद्ध हुआ है। अदालत में सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी वर्चुअल अदालत में पेश हुए। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनी। फिर सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद फैसले के लिए 12 मार्च की तिथि मुकर्रर की।
—जुर्म की दुनिया में जब चल रहा था सिक्का,तब लिया था फर्जी तरीके से लाइसेंस
माफिया मुख्तार अंसारी की जब गाजीपुर सहित पूरे पूर्वांचल के जनपदों में सियासत और जुर्म की दुनिया में सिक्का चलता था। तब उन्होंने रसूख का फायदा उठा कर दस जून 1987 को एक दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में प्रार्थना पत्र दिया था। इसके बाद अपने लोगों से साठ-गांठ कर गाजीपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति लेकर शस्त्र लाइसेंस ले लिया था। मामला गरमाने पर तब सीबीसीआईडी ने चार दिसंबर 1990 को गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर सहित पांच नामजद और अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। जांच पड़ताल में तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के खिलाफ न्यायालय में वर्ष 1997 में आरोप पत्र दाखिल हुआ था। लम्बी खिंच रही सुनवाई के दौरान ही लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो गई थी। इस केस में अभियोजन पक्ष नेे प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और पूर्व डीजीपी देवराज नागर सहित दस गवाहों का बयान लिया था। इस मामले में सुनवाई कर रहे विशेष जज (एमपी एमएलए ) न्यायमूर्ति अवनीश गौतम की कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दोषी ठहराया है।