मुस्लिम संगठनों ने भी की जातीय जनगणना की मांग

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नई दिल्ली। मुस्लिम संगठनों की तरफ से जातीय जनगणना कराने की मांग की गई है और साथ ही सरकार को आगाह किया गया है कि वह जातीय जनगणना की प्रक्रिया को कमजोर करने की कोशिश नहीं करे। संगठनों का कहना है कि सत्ता के गलियारों में इसे डिजिटल तरीके से कराए जाने की चर्चा चल रही है।

यदि ऐसा होता है तो गरीब तबके के लोग अपना ब्यौरा इसमें दर्ज नहीं करा पाएंगे। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज तथा 15 अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रेस कांफ्रेस कर यह ऐलान किया है। महाज के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद लगी अनवर ने कहा कि जातीय जनगणना व्यापक रूप में होनी चाहिए। इसे डिजिटल तरीके से नहीं कराया जाए क्योंकि इससे गरीब, पिछड़े तबके के लोगों के लिए मुश्किल होगी।

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उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज की भांति मुस्लिम समाज भी कई जातियों एवं उपजातियों में बंटा है, इसलिए सभी जातियों की गणना की जानी चाहिए। इससे जातियों की सही स्थिति सामने आएगी। उन्होंने यह भी मांग की कि पूरे देश में पिछड़ों को पिछड़े और अति पिछड़ों में विभाजित किया जाना चाहिए। साथ ही दलित मुसलमानों एवं ईसाइयों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाना चाहिए।

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