नई दिल्ली । संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत ने फिर अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुद्दा उठाया है। भारत ने कहा कि यह जरूरी है कि तालिबान अपने वादे पर कायम रह कर अफगान की मिट्टी का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं होगा।इसके अलावा भारत ने उम्मीद जाहिर है कि तालिबानी शासन में अफगान के लोग बिना रोक-टोक के अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कर सकें। तालिबान ने हाल ही में अफगानिस्तान में अपनी अंतरिम सरकार का ऐलान किया है।खास बात यह है कि इस कार्यवाहक सरकार में कई मंत्री नामित आतंकी हैं।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने 30 अगस्त के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव की बात दोहराया,जिसमें कहा गया था कि अफगान क्षेत्र का उपयोग किसी भी देश को डराने या उसपर हमला करने, आतंकियों को पनाह देने और आतंकी गतिविधियों को साजिश रचने या उन्हें आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए नहीं होगा। भारत लगातार यूएन में आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर कर रहा है।त्रिमूर्ति ने कहा, इसने (प्रस्ताव) हमारे कई सामूहिक चिंताओं और विशेष रूप से आतंकवाद को ध्यान में रखा है।
जहां कहा गया है कि तालिबान अफगान की मिट्टी का इस्तेमाल प्रस्ताव 1267 के तहत नामित आतंकियों और आतंकी समूहों सहित आतंकवाद के लिए नहीं होने देगा।उन्होंने कहा, ‘जैसा कि बीते महीने काबुल एयरपोर्ट पर आतंकी हमला देखा गया, अतंकवाद लगातार अफगानिस्तान के लिए बड़ा गंभीर खतरा बना हुआ है।इसकारण इस संबंध में किए गए वादों का सम्मान और पालन किया जाना चाहिए।
भारतीय पक्ष ने कहा,हम उम्मीद करते हैं कि अफगान और विदेशी नागरिकों की सुरक्षित रवानगी समेत इन वादों का पालन होगा।टीएस त्रिमूर्ति ने कहा, अफगानिस्तान में नाजुक हालात बने हुए हैं।उसके पड़ोसी और लोगों के दोस्त होने के चलते मौजूदा स्थिति हमारे लिए सीधी चिंता का विषय है।इस दौरान उन्होंने मुल्क में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा की बात कहकर यूएन तक पहुंच की जरूरत का मुद्दा उठाया।उन्होंने कहा, ‘बीते दो दशकों में बनाए लाभों को बनाए रखने के साथ-साथ अफगानों के भविष्य को लेकर बहुत अनिश्चितताएं हैं।
त्रिमूर्ति ने कहा,इसके संबंध में हम अफगान महिलाओं की आवाज को सुने जाने की जरूरत, अफगान बच्चों की आकांक्षाओं को पूरा करने और अल्पसंख्यकों की हितों की रक्षा करने की बात को दोहराते हैं।हम तत्काल मानवीय सहायता उपलब्ध कराने का आह्वान करते हैं और इसके संबंध में यूएन और अन्य एजेंसियों तक निर्बाध पहुंच की जरूरत को सामने रखते हैं।