रामचरितमानस में ‘ताड़ना’ का मतलब ’मारने’ से नहीं ’देखने’ से होता है-योगी

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को विधानसभा में रामचरित मानस की एक चौपाई को लेकर उठे विवाद और लग रहे आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस लिखने वाले तुलसीदास ने समाज को जोड़ने का काम किया है। चौपाइयों की सही व्याख्या होनी चाहिए।

रामचरितमानस की एक चौपाई का जिक्र करते हुए कहा कि अवधी और बुंदेलखंडी के लिखे शब्द ’ताड़ना’ और ’शूद्र’ का गलत मतलब निकाला गया। शूद्र का मतलब श्रमिक से और ताड़ना का अर्थ देखना होता है, मारना नहीं होता। लेकिन आज सब अपने हिसाब से ग्रंथों की व्याख्या कर रहे हैं। रामचरितमानस को कुछ लोगों ने फाड़ने का काम किया, यही घटना अगर किसी दूसरे मजहब के साथ हुई होती तो देखते क्या होता।

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राज्यपाल के अभिभाषण पर सदन में हो रही चर्चा का समापन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो घंटे दस मिनट के भाषण में कहा कि रामचरितमानस की रचना जिस कालखंड में हुई, तब महिलाओं की स्थिति क्या थी ये किसी से छिपा नहीं है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस अवधी में रची गई। क्या उसके शब्दों का सही मतलब भी इन्हें (सपा) पता है। अवधी में अगर हम बात करें तो कहते हैं “क्या ताड़ रहे हो“ यहां ’ताड़ना’ का अर्थ देखने से होता है, मारने से नहीं।

बुंदेलखंडी में उन्होंने कहा-मोरे लड़कन को ताड़े रहिओ, यानी उन्हें देखे रहना। उन्होंने कहा कि उप्र राम, कृष्ण, गंगा, यमुना और संगम की धरती है। यहां रामायण जैसे ग्रंथ रचे गए। ऐसे ग्रंथों को जलाया गया। क्या देश-दुनिया में रहने वाले हिंदुओं को अपमानित करने का काम नहीं कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मातृ शक्ति की प्रतीक राज्यपाल के अभिभाषण पर नारेबाजी करना, ये कहां तक शोभनीय है। किस लोकतंत्र की बात आप कर रहे हैं। जो लोग राज्यपाल का सम्मान नहीं कर सकते। उनसे प्रदेश की आधी आबादी को सम्मान करने की उम्मीद कहां कर सकते है? इनके शासन में गेस्ट हाउस कांड हुआ था।

’लड़के हैं, गलती कर देते है’, ऐसे बयान सामने आए थे। ये लोग लोकतंत्र की बात करें, ये आश्चर्य होता है। एक बड़े विचारक ने कहा था कि शक्ति देना आसान है, लेकिन बुद्धि देना आसान नहीं। इसको सरल भाषा में कहूं कि विरासत में सत्ता तो मिल सकती है, लेकिन बुद्धि नहीं मिल सकती है।

मुख्यमंत्री योगी सपा के जातीय जनगणना की चर्चा किए बिना कहा कि जब हम उत्तर प्रदेश की बात करते हैं। ये लोग जाति के नाम पर समाज को बांट रहे हैं। हम ईज ऑफ लिविंग की बात करते हैं, वो जाति की बात करते हैं। हम कहते है कि गरीब की जाति नहीं होती है। उसको आवास, शौचालय मिलना चाहिए। उसको रोजगार मिलना चाहिए। इन्होंने जाति के नाम किया भी क्या है। इनके शासन में एक ही जाति की भर्ती होती है। उस वक्त के युवाओं के साथ क्या अन्याय होता था।

सभी चयन आयोग और भर्ती में क्या होता था। किसी से छिपा नहीं है। नेता सदन ने कहा कि पॉलिटिकल क्रैडिबिलिटी की आप क्या बात करते हैं। हमें जनता का जनाधार मिलता आ रहा है। यही क्रैडिबिलिटी है। पॉलिटिकल क्रैडिबिलिटी का सबसे बड़ा मानक देश-दुनिया का भरोसा है। 35 लाख करोड़ के प्रस्ताव सबसे बड़ा उदाहरण है। निवेशकों के भरोसे पर आप लोग सवाल खड़े कर रहे हैं। आप अपने शासन में समिट कहां करते थे, दिल्ली और मुंबई में। सोचिए, जिस निवेशक को आप यूपी में ला नहीं पा रहे हैं। उससे यूपी में निवेश क्या करवाएंगे।

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