: : शीर्ष अदालत से नोटिस के बाद रेप पीड़िता को हर सम्भव मदद का भरोसा देने में जुटा प्रसाशनिक अमला
: : बिभागीय जांच में आरोपी बीईओ के बचाव में रहे प्रशासन की अचानक टूटी तन्द्रा पर अब उठने लगे सवाल
( ब्रह्मा नंद पांडेय )
मऊ ( खरी दुनिया) । उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के एक खण्ड शिक्षा अधिकारी को एक किशोरी के साथ हुए बलात्कार के मानले में शीर्ष अदालत से नोटिस के बाद प्रसाशनिक अमला रेप पीड़िता की हर सम्भव मदद के बहाने आरोपी खण्ड शिक्षा अधिकारी समेत उसके अन्य आरोपियों के बचाव में पीड़िता आदि से बयान को बदलवाने को लक्ष्य बनाकर, भावनात्कमक दबाव बनाने में जुट गया है।
बिभागीय सूत्रों के अनुसार आरोपी खण्ड शिक्षा अधिकारी के तैनाती स्थान के इलाके के एक बिद्यालय की 13 वर्षीय छात्रा के साथ आरोपी बीईओ के ड्राइवर द्वारा बीआरसी के एक कमरे में ले जाकर दुराचार करने के मामले में एक शीर्ष अदालत द्वारा सीआरपीसी की धारा 319 की सुनवाई पश्चात निर्गत स्थानीय एक अदालत के आदेश के खिलाफ सुनवाई में बतौर विपक्षी संख्या 2 आरोपी खंड शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी किया है।
इस नोटिस के बाद जिलाधिकारी, एसडीएम, और बीएसए द्वारा रेप की पीड़ित को हर सम्भव मदद का एलान कर जहा भावनात्मक दबाव बनाया जा रहा है तो वही पर रेप पीड़िता के सहयोगियों पर भी तब दबाव बनाया जा रहा है जब एक अदालत ने मामले में आरोपी खण्ड शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी कर दिया है, अब जिलाधिकारी से लेकर बीएसए आदि को रेप पीड़िता याद आने लगी है वे घटना के 8 माह बाद तब जग गए जब अदालत ने आरोपी खण्ड शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी कर दिया है।
प्रशासन की इस मेहरबानी पर तरह तरह के सवाल उठने लगे है। बताते चले कि घटना के दिन से ही मामले में आरोपी खण्ड शिक्षा अधिकारी का शीर्ष अधिकारियों द्वारा पदीय अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए उसके किये की सजा से बचाव किया जाता रहा। एफआईआर से लेकर 164 सीआरपीसी के तहत बयानों में नाम आने के बावजूद कार्रवाई के नाम पर मामले में प्रशासन खण्ड शिक्षाधिकारी के बचाव मे रहा। खण्ड शिक्षा अधिकारी के उस कार चालक को इस मामले में जेल भेजकर प्रशासन चैन की नींद सो रहा था लेकिन मामले की अदालत में सुनवाई और उसमें आरोपी संख्या 2 के रूप में मौजूद खण्ड शिक्षा अधिकारी को कोर्ट से नोटिस के बाद से वही प्रसाशनिक अधिकारियों की रेप पीड़िता की मदद की आड़ में उसके अभिभावकों आदि पर मुकदमे की वापसी को लक्ष्य बनाकर नीद टूट गई है।
घटना के 8 महीने तक सोने वाले गाजीपुर प्रसाशन अचानक जग गया । अब रेप पीड़िता और उसके अभिभावक सोने में आने लगे, अब हर सम्भव सहयोग की बाते और अस्वाशनो का दौर शुरू हो गया। क्यो ? इस लिए की अब जब इस मामले का अधीनस्थ अदालत में ट्रायल शुरू होगा तो , केवल खण्ड शिक्षा अधिकारी ही नही बल्कि बिभागीय जांच कर आरोपी बीईओ को बचाने में कई अफसरो को भी अदालत का चक्कर काटने पड़ सकता है.. यह सोचकर अफसर अब रेप पीड़िता को मदद का भरोसा दे मामले में मुकदमावादी आदि के बयानों को पलटवाना लक्ष्य है।
मामले के मुकदमावादी ने शनिवार को समय करीब साढ़े 6 बजे खरी दुनिया के दफ्तर में आकर प्रसाशन पर उपरोक्त आरोप लगाते हुए आपबीती का खुलासा किया। एक सवाल के जबाव में शिकायतकर्ता ने कहा कि उस मामले के प्रकाशित होने पर न तो उन्हें कोई आपत्ति है और न ही उनके परिवार को।