नई दिल्ली ।सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि लखीमपुर खीरी मामले के शेष गवाहों के बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराएं। मामले में राज्य सरकार की कार्यशैली पर टिप्पणी कर न्यायालय ने कहा कि उसे लगता है कि वह मामले में बहुत धीमे काम कर रही है। शीर्ष अदालत तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में किसानों के एक प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत के मामले में सुनवाई कर रही थी। न्यायालय को राज्य सरकार ने बताया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 44 में से चार गवाहों के बयान दर्ज कर लिए है।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा सीलबंद लिफाफे में दाखिल स्थिति रिपोर्ट पर गौर किया। राज्य सरकार ने पीठ को बताया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष गवाहों के बयान दर्ज कराने की प्रक्रिया जारी है। इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 26 अक्टूबर की तिथि तय की है।
मामले में अभी तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। दो वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि इस मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराएं, जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को भी शामिल करें। इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई शुरू की। गौरतलब है कि किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कुचल दिया था।
इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक की कथित तौर पर पीट कर हत्या कर दी थी, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई। किसानों के अनेक संगठन ‘कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून, 2020’, ‘कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) कानून, 2020’ और ‘आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून’ को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले साल नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं। पंजाब से शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे-धीरे दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी फैल गया। शीर्ष अदालत ने जनवरी में कानूनों को अमल में लाने पर रोक लगा दी थी।
लखीमपुरखीरी केस में अब तक केवल 4 गवाहों के ही हुए बयान, शीर्ष कोर्ट ने कहा जिम्मेदारी से भाग रही यूपी सरकार
नई दिल्ली । हमें लगता है कि आप अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा न करें। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को लखीमपुर मामले की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए यह बात कही। इसके साथ ही कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि वह इस मामले के बाकी गवाहों की बयान भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराए।
इससे पहले यूपी सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने कुल 44 गवाहों में से 4 के बयान दर्ज कर लिए हैं। चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने यूपी सरकार की ओर से पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट को लेकर यह बात कही। यूपी सरकार ने चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच को बताया कि बाकी गवाहों के बयानों को भी दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है।
यूपी सरकार की ओर से गवाहों के बयान जारी करने के लिए वक्त मांगे जाने के बाद कोर्ट ने कार्यवाही को स्थगित कर दिया। शीर्ष अदालत ने अब मामले की अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को करने का फैसला लिया है। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा समेत 10 लोगों को अरेस्ट किया जा चुका है। दो वकीलों की ओर से इस मामले में याचिका दायर कर हाई लेवल इन्क्वायरी की मांग किए जाने पर अदालत ने सुनवाई शुरू की थी।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में 3 अक्टूबर को आंदोलनकारी किसानों की एक एसयूवी से कुचलकर मौत हो गई थी। इसके बाद भड़की हिंसा में 4 और लोगों की मौत हो गई थी। इनमें एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप और भाजपा के तीन कार्यकर्ता शामिल थे। इस मामले ने इतना राजनीतिक तूल पकड़ा कि कई दिनों तक राज्य सरकार ने नेताओं की लखीमपुर खीरी में एंट्री पर ही रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी समेत कई नेता पीड़ित किसानों से मिलने के लिए लखीमपुर खीरी पहुंचे थे।