भारत की अंतरात्मा अध्यात्म को समृद्ध करें शिक्षक : सह सरकार्यवाह
लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि शिक्षकों व विद्यार्थियों के आचरण व व्यवहार में आध्यात्म दिखना चाहिए। आध्यात्म भारत की आत्मा है। इसलिए शिक्षकों का कर्तव्य है कि वह भारत की अंतरात्मा आध्यात्म को समृद्ध करें।
सह सरकार्यवाह शुक्रवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान द्वारा आयोजित अखिल भारतीय संस्थागत नेतृत्व समागम को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि राष्ट्र का अर्थ नेशन नहीं होता है। इसलिए राष्ट्र का समझे बिना हम भारत की शिक्षा को नहीं समझ सकते। नेशन की आधारभूमि घृणा पर खड़ी होती है। भारत अपनी आध्यात्मिक भावनाओं और अनंत विविधताओं की भावभूमि पर खड़ा है। अध्यात्म ने ही भारत की विविधताओं को एकत्व का रूप दिया। उन्होंने कहा कि आध्यात्म को समझने की आवश्यकता है। आध्यात्म भारत को प्रतिष्ठा देता है। धर्म के प्रति धरती माता के प्रति श्रद्धा का भाव कैसे आयेगा।
सह सरकार्यवाह ने कहा कि हमारी शिक्षा पद्धति ऐसी हो जो बैरभाव न बढ़ाये। जो इस देश के मौलिक तत्वों का संरक्षण व संवर्धन करे। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा मनुष्य को सहनशील नहीं बना रही है। समाज में जब तक एक दूसरे के प्रति दया करूणा व सम्मान का भाव नहीं होगा तो वह शिक्षा किस काम की। विश्व आज अनेक समस्याओं से ग्रस्त है। क्योंकि वह मानते हैं कि सारी धरती हमारे भोग के लिए है। जबकि आध्यात्म कहता है सारा परमात्मा का है। हम धरती के सेवक हैं। इसलिए जितना आवश्यक है उतना ही लेना।
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि आज हमारे देश में कुछ शिक्षण संस्थान विश्व स्तर के हैं। इसके अलावा दुनिया का कोई भी ऐसा संस्थान नहीं है जहां भारत के विद्यार्थी न हों। हमारे देश में एससी,एसटी व ओबीसी की भागीदारी धीरे-धीरे बढ़ रही है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वर्तमान में साढे़ आठ लाख बच्चे भारत के बाहर शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं। इसमें भारत का ढाई लाख करोड़ रूपया बाहर चला जाता है। इसलिए इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि ऐसी कौन सी शिक्षा है जो हम भारत में नहीं दे सकते।
सह सरकार्यवाह ने कहा कि भारत दुनिया के बच्चों के लिए शिक्षा का आकर्षण बनना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि भारत में विशेष क्या है। विश्व क्या जानना चाहता है। योग,आयुर्वेद व संगीत जैसी कई विधाएं हैं जिनको जानने के लिए विश्व उत्सुक है। पहले नालंदा,तक्षशिला व काशी के विश्वविद्यालयों में पूरे विश्व के विद्यार्थी अध्ययन करने लिए आते थे। वह भारत में अनेक वर्षों तक रहकर अनेक विषयों का अध्ययन करते थे।
उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा सलाहकार प्रो.डी.पी.सिंह ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि शिक्षा का ताना-बाना विद्यार्थी केन्द्रित होना चाहिए। भारतीय मनीषा राष्ट्र की संचेतना को लेकर हमेशा सजग रहा है। उन्होंने कहा कि आज भारत आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रहा है लेकिन सामाजिक दृष्टि से हम कहां हैं, यह भी देखने की आवश्यकता है। सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल का स्वागत लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आलोक राय ने किया।