छप्पनभोग की ओर से कारित यह अपराध बीते जनवरी माह में हो चुका है साबित
विभागीय आरोप पश्चात अपर जिलाधिकारी मऊ द्वारा निर्णित केस में जमा हो चुका है अर्थदंड
ब्रह्मा नन्द पांडेय
मऊ (खरी दुनिया) । जिले की नामचीन मिठाइर्यों की दुकान में जाने पहचाने नाम ‘‘छप्पनभोग’’ के द्वारा मिलावटी मिठाइयॉे को बेचे जाने की खबर है। छप्पनभोग की ओर से बेची जाने वाली मिठाईयॉ कितनी अच्छी होती है ? का खुलासा विभागीय जांच में आरोपित होने के बाद “छप्पनभोग” द्वारा जमा “अर्थदंड” से होता है। “छप्पनभोग” पर ‘‘छेने की मिठाई’’ में ‘‘मिलावट’’ पाए जाने पर विभाग की ओर से बीते जनवरी माह में वतौर अर्थदंड हजारो की रकम जमा कराया गया है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले की मिठाई बेचने वाली सस्था ‘‘छप्पनभोग’’ के द्वारा मिठाईयों को बेचने में ग्राहकों को मानक के विपरीत बनी मिठाइयों बेची जाती है। “छप्पनभोग” के इस कारनामे का खुलासा खुद उसकी तरफ से सरकार के खाते में जमा अर्थदण्ड की वह रकम है जो अपरजिलाधिकारी कि अदालत के एक निर्णय के बाद जमा कराई गई है। छपनभोग कि इस करतूत पर बिभाग के एक अधिकारी ने नाम नही छापने की शर्त बताया कि 22 जनवरी 2021 को उनके छेने से निर्मित मिठाई में स्टार्च पाए जाने के बाद हुए निर्णय में 10 हजार रुपये की रकम जमा कराई गई। उन्होंने कहा कि ग्राहकों को मानक के अनुकूल बनी मिठाई बताकर मानक के बिपरित बनी छेने की मिठाइयों को बेचे जाने का यह अकेला मामला नही है। अफसर ने बताते है कि जिले में ऐसी कई मिठाई बेचने वाली दुकाने है जो मानक के विपरीत मिठाईया बना कर ग्राहकों से मानक वाली मिठाई बताकर धन ऐंठने का काम करती है जिसमे से एक नगर की मिठाई की दुकान “छप्पनभोग” भी है। उन्होंने बताया कि बीते माह “छप्पनभोग” की दुकान से “छेने” से बनी मिठाइयों की “सैंपलिंग” की गई थी, जांच रिपोर्ट के आने के बाद अपरजिलाधिकारी की अदालत द्वारा “छप्पनभोग” पर 10 हजार रुपये का अर्थदण्ड लगाया गया है। उधर जब इस आरोप और उसको साबित होने के बाद जमा रकम पर पक्ष जानने के लिए “छप्पनभोग” के स्वामी की मोबाइल नंबर पर रिंग किया गया तो उनके द्वारा जबाब नही दिया गया।
मिलावटी सामानों के विक्रेताओं से 20 लाख की हो चुकी है वसूली
मऊ (खरी दुनिया)। खाद्य एवं औषधि विभाग के अफसर एस के त्रिपाठी ने खरी दुनिया से बातचीत में बताया कि जिले के मिलावटी खाद्य सामग्रियों को बेचने वालों के अपराध को साबित होने के बाद वर्ष 2018 से 2022 तक 130 निर्णयों के माध्यम से वतौर अर्थदंड 20 लाख से अधिक की रकम विभाग के खाते में जमा कराई गई है। एक सवाल के जबाब में श्री त्रिपाठी ने कहा कि 130 निर्णयों से संबधित फर्मौ का नाम तो वे फिलहाल बिना देखे नही बता सकते है लेकिन आरोप को साबित होने के बाद हए निर्णय के पालन सबधित फर्मो से यह धनराशि विभागीय खाते में जमा कराई गई है।