सिद्धू और कैप्टन के झगड़े में केजरीवाल को फायदा

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यूपी
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नई दिल्ली । देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में अगले छह महीने के दौरान होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर आए ताजा सर्वे में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। इसके मुताबिक, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बार फिर सरकार बना सकते हैं तो पंजाब में कांग्रेस के झगड़े का फायदा आम आदमी पार्टी (आप) उठा सकती है। उत्तराखंड में कांग्रेस के महासचिव हरीश रावत कांग्रेस को फिर सत्ता में ला सकते हैं। वहीं, गोवा में बीजेपी सरकार बचा सकती है। यूपी में एक बार फिर योगी आदित्यनाथ की अगुआई में बीजेपी की सरकार बन सकती है। बीजेपी देश के सबसे बड़े सूबे में 41.8 फीसदी वोट शेयर (259 से 267 सीटों) के साथ आगे चल रही है, जबकि समाजवादी पार्टी 30.2 प्रतिशत वोट शेयर (109 से 117 सीटों) के साथ दूसरे स्थान पर है। बहुजन समाज पार्टी महज 15.7 फीसदी वोट शेयर (12 से 16 सीटों) के साथ तीसरे स्थान पर है। पंजाब में, आम आदमी पार्टी 35.1 फसदी वोट शेयर (51 से 57 सीटों) के साथ आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 28.8 प्रतिशत वोट शेयर (38 से 46 सीटों) के साथ दूसरे स्थान पर रह सकती है। शिरोमणि अकाली दल को 21.8 प्रतिशत वोट शेयर और 16 से 24 सीटें मिल सकती हैं। पंजाब में हुए सर्वे में यह बात सामने आई है कि प्रदेश के वोटर सत्ताधारी कांग्रेस से नाराज हैं। सर्वे के मुताबिक, अभी अगर चुनाव होते हैं तो कांग्रेस को सिर्फ 46 सीटों पर जीत मिल सकती है। वहीं आम आदमी पार्टी 56 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है। सर्वे में यह बात सामने आई है कि अगर चुनाव होते हैं तो इससे कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। पार्टी को 31 सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। 77 सीटें पाने वाली कांग्रेस सिर्फ 46 सीटों पर सिमट सकती है। वहीं, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी 34 सीटों के फायदे के साथ 54 सीटें पा सकती है। बीते चुनाव में उसे सिर्फ 20 सीटें मिल सकती हैं। यह आंकड़ा बताता है कि प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी और कैप्टन अमरिंदर और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच झगड़े का फायदा आम आदमी पार्टी को मिल सकता है। भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल की बात करें तो बीते विधानसभा चुनाव में दोनों ने एक साथ चुनाव लड़ा था। उन्हें सिर्फ 18 सीटें मिली थीं और वह आप से भी एक स्थान नीचे रहे। इस बार दोनों पार्टियों में कृषि कानूनों को लेकर मतभेद हुए। अकाली दल की केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया और बाद में अकाली गठबंधन से भी अलग हो गई। सी-वोटर के सर्वे के मुताबिक, कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन से अकाली दल को नुकसान होता नहीं दिख रहा है लेकिन फायदा भी होने की संभावना नहीं है।

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