Monday, March 27, 2023

स्क्रब टायफस बीमारी के कहर से यूपी में कोहराम, बारिश के मौसम में बच कर रहें


लखनऊ । बारिश का मौसम आते ही बीमारियों की भी आमद हो जाती है। ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच कई सीजनल एलर्जी और इन्फेक्शन समेत कई अन्य बीमारियां सामने आ रही है। यूपी के कुछ मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुर समेत कुछ जिलों में स्क्रब टायफस से मौत की खबरें सामने आई हैं। शुरुआत में इस बीमारी को रहस्यमयी बुखार कहा जा रहा था। मथुरा में 2 साल से लेकर 45 साल के 29 मरीज स्क्रब टायफस के मिले थे। भले ही, यह वायरल बीमारी कोरोना से अलग है लेकिन इसके लक्षण कोविड-19 से मिलते जुलते हैं। ऐसे में बरसात के मौसम में इस बीमारी को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।


यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) के अनुसार स्क्रब टाइफस एक बीमारी है जो ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी बैक्टीरिया के कारण होती है। लोगों में यह संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से फैलता है। इसे बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है। यह एक वेक्टर जनित बीमारी है। यह समय के साथ सेंट्रल नर्वस सिस्टम, कार्डियो वस्कुलर सिस्टम, गुर्दे, सांस से जुड़ी और गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल सिस्टम को प्रभावित करता है। कई मामलों में मल्टी ऑर्गन फेल्योर से रोगी की मौत भी हो सकती है।

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इसके लक्षणों में बुखार और ठंड लगना शामिल है। इसके बाद सिरदर्द, शरीर में दर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है जैसा कि कोविड के मामले में होता है। हालांकि, एक स्क्रब टाइफस रोगी कोविड-19 के कई मामलों के विपरीत गंध और स्वाद बना रहता है। कुछ रोगियों में जोड़ों में दर्द भी होता है, जो चिकनगुनिया का लक्षण है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बीमारी का शुरुआती स्तर पर पता लगना बहुत जरूरी है।

सीडीसी का कहना है कि अगर कोई स्क्रब टाइफस से संक्रमित हो जाता है, तो व्यक्ति को एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन से इलाज करना चाहिए। खबर के अनुसार, जिन लोगों का डॉक्सीसाइक्लिन के साथ जल्दी इलाज किया जाता है, वे आमतौर पर एक सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं। सीडीसी के अनुसार, स्क्रब टाइफस को रोकने के लिए अभी कोई वैक्सीन नहीं है। सीडीसी के अनुसार एजेंसी का कहना है कि यह संक्रमण उन जगहों पर जाने से बचना चाहिए जहां यह स्क्रब टायफस आम है। यह कीड़ा घास, पौधों या ज्यादा नमी वाले स्थानों पर होता है। भारत के अलावा इंडोनेशिया, चीन, जापान और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण इलाकों से स्क्रब टाइफस के मामले सामने आए हैं।

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"डंके की चोट " पर मै खरी दुनिया हू मै खरी दुनिया हू.... मै भ्रष्टाचारियों के बीच अकेला, लेकिन खरी दुनिया हू, मै हर हाल मे उन खबरो को, लोगो तक पहुचाने की कोशिश करता हू, जो अधिकांश बिकाऊ और बिकी मीडिया से, अपने "आका" के इशारे पर छुपा दी जाती हैं। मै इस लिए खरी दुनिया हू, क्योकि हमारी सरकार यानि "भारतीय जनता पार्टी " भ्रष्टाचार और अपराध को लेकर "जीरो टालरेंस " क़ी हिमायती हैं। मै भाजपा की इस नीति का पालन करने और कराने के लिए "डंके की चोट" पर कफ़न "सर" पर लिए खुद को नियमबद्ध रखते हुए हाजिर हू....मै खरी दुनिया हू.... भ्रष्टाचारीयो मे अफसर हो, या गाव का प्रधान, मै पदीय अधिकारों क़ी आड़ मे क़ी गई उनकी अनियमित्ता के साक्ष्य को खोजने का काम करता हू , .....क्योकि मै खरी दुनिया हू।
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