लखनऊ । केंद्र सरकार की पहल से यूपी की योगी सरकार स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत हेरिटेज के लिहाज से महत्वपूर्ण कई स्थालों का कायाकल्प करने जा रही है। राज्य सरकार पर्यटको की सुरक्षा और बनियादी सुविधाओं का विकास करवा रही है। दरअसल, राम, कृष्ण, बुद्ध, कबीर और महाबीर जैन की धरती सिर्फ धर्म और अध्यात्म के ही नाते अपनी बेहद सम्पन्न विरासत की वजह से भी जानी जाती है। पहले की सरकारों द्वारा इनके रख-रखाव की ओर ध्यान नहीं दिए जाने से इनका आकर्षण खत्म होता जा रहा था। इसमें बांदा जिले में स्थित करीब 1500 साल पुराना और देश के सबसे बड़े किले में शुमार रानी पद्मावती से जुड़ा अपराजेय कालिंजर का किला, संत कबीर दास की कर्म स्थली रहा मगहर (संतकबीर नगर), जंगे आजादी की लड़ाई को यू टर्न देने वाले शहीदों की याद में बना शहीद स्थल चौरी-चौरा (गोरखपुर), महावीर स्थल घोसी (मऊ), 1857 की जंगे आजादी की शुरूआत करने वाले शहीदों की याद में बने शहीद स्मारक मेरठ और सोलम चोपाल मुज्जफरनगर आदि।
कालिंजर दुर्ग को देश के सबसे विशाल और अपराजेय दुर्गों में गिना जाता रहा है। इस दुर्ग में कई प्राचीन मंदिर हैं। इनमें कई मंदिर तीसरी से पांचवी सदी गुप्तकाल के हैं। यहां के शिव मन्दिर के बारे में मान्यता है कि सागर-मंथन से निकले कालकूट विष को पीने के बाद भगवान शिव ने यहीं तपस्या कर उसकी ज्वाला शांत की थी। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला कार्तिक मेला यहां का प्रसिद्ध सांस्कृतिक उत्सव है। अब सरकार इस किले की प्रसिद्धि वापस लाने के लिए स्थानीय स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों को बढ़ावा देने जा रही है।
ज्ञात हो कि प्राचीन काल में यह दुर्ग जेजाकभुक्ति (जयशक्ति चंदेल) साम्राज्य के अधीन था। बाद में यह 10वीं शताब्दी तक चंदेल राजपूतों के अधीन और फिर रीवा के सोलंकियों के अधीन रहा। इन राजाओं के शासनकाल में कालिंजर पर महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक, शेर शाह सूरी और हुमांयू ने आक्रमण किए लेकिन इस पर विजय पाने में असफल रहे। कालिंजर विजय अभियान में ही तोप का गोला लगने से शेरशाह की मृत्यु हो गयी थी। मुगल शासनकाल में बादशाह अकबर ने इस पर अधिकार किया। इसके बाद जब छत्रसाल बुंदेला ने मुगलों से बुंदेलखंड को आजाद कराया तब से यह किला बुंदेलों के अधीन आ गया व छत्रसाल बुंदेला ने अधिकार कर लिया। बाद में यह अंग्रेजों के नियंत्रण में आ गया। भारत के स्वतंत्रता के पश्चात इसकी पहचान एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर के रूप में की गई है। वर्तमान में यह दुर्ग भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकार एवं अनुरक्षण में है। यह बहुत ही बेहतरीन तरीके से निर्मित किला है। हालांकि इसने सिर्फ अपने आस-पास के इलाकों में ही अच्छी छाप छोड़ी है।
पर्यटकों के लिहाज से इनका आकर्षण बढ़ाने में केंद्र सरकार इनके विकास पर 33.17 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। उम्मीद है कि इसी माह (सितंबर) तक इन सभी जगहों पर जारी काम पूरे हो जाएंगे।
प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम ने बताया कि किसी देश-प्रदेश की विरासत और इससे जुड़े महापुरुष वहां के लोंगों खासकर युवा पीढ़ी में लिए प्रेरणास्रोत होते हैं। देश के इतिहास के बारे जिज्ञासु देशी-विदेशी पर्यटक इन जगहों पर आते हैं। इनको बेहतर सुविधाएं मिलें। वह इन जगहों और प्रदेश के बारे में बेहतर छबि लेकर वापस जाएं, इनके मड्डनजर ही केंद्र और राज्य सरकार की मंशा के अनुसार हेरिटेज सर्ट से जुड़े इन स्थलों पर काम हो रहा है।