–हाईकोर्ट ने नियुक्ति में शामिल रहे अधिकारियों को भी विवेचना में शामिल करने का पुलिस को दिया निर्देश
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नियुक्त सहायक अध्यापक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
याची अनिल कुमार सिंह बतौर सहायक अध्यापक प्राथमिकी विद्यालय कूड़ी बाजार जिला गोरखपुर में वर्ष 2010 में नियुक्त हुआ था। बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखपुर द्वारा याची समेत 37 सहायक अध्यापकों के विरूद्ध उक्त प्राथमिकी मार्च 2020 में थाना राजघाट गोरखपुर में अन्तर्गत धारा 417, 419, 420, 423, 467, 468, 471 भारतीय दण्ड संहिता दर्ज करायी गयी थी, जिसकी विवेचना आज तक प्रचलित है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ एवं न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खण्डपीठ ने याची अध्यापक की याचिका पर पारित किया है। हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए सम्बन्धित पुलिस अधिकारी को निर्देश दिया है कि विवेचना में इन तथ्यों को भी शामिल किया जाए कि याची की नियुक्ति के समय कौन कौन से जिम्मेदार अधिकारी तैनात थे और उन्होने शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन को लेकर क्या प्रयत्न किया था।
कोर्ट ने सारे तथ्यों के साथ विभागीय अधिकारियों से जवाब तलब किया है। अदालत ने याचिका पर 24 सितम्बर 2024 की तारीख नियत करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कहा है। कोर्ट का कहना है कि इस प्रकार की नियुक्ति विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के बिना सम्भव नहीं है।
याची के अधिवक्ता अरविन्द कुमार त्रिपाठी का कहना है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा विधिक प्रक्रिया का अनुपालन किए बगैर याची समेत 37 सहायक अध्यापकों को गोरखपुर में बर्खास्त कर दिया गया। याची ने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी। जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया था। अधिवक्ता का कहना था कि अधिकारियों की मिलीभगत से कोर्ट के आदेश के अनुपालन के बजाय याची समेत 37 सहायक अध्यापकों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी है। याचिका में कहा गया है कि विभाग ने प्रमाणपत्रों को नियमानुसार सत्यापित कराए बगैर प्राथमिकी दर्ज करायी है जो कि गलत है।