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मऊ मे घोटाले की शिकायतबाद, शासनादेश के विपरीत जाँच अधिकारी ग्राम प्रधानों के बचाव मे गढ़वा रहे है साक्ष्य

( ब्रह्मा नन्द पाण्डेय )

मऊ। जिले के ग्राम प्रधानों के द्वारा सरकारी खाते से हड़पी गई रकम पर कार्यवाही न हो, इसके लिए जिले से हार का स्वाद चख चुके एक भाजपा नेता का पहरा होने के कारण सीधे सरकारी खाते से अपने खाते मे धन उतारने वाले ग्राम प्रधानों के हौशले बुलंद है।


जिले मे ग्राम पंचायतो मे घोटालो का अम्बर लगा हुआ है, सरकारी पोर्टल ई ग्राम्य स्वराज ग्राम पंचायतो के ग्राम प्रधानों के द्वारा सरकारी खाते से निकाले गये धनों से अटा पटा है। यहा साक्ष्यों को निकाल कर हो रही शिकायतों की जाँच मे शासनादेश के विपरीत मनमानी करते हुए राजनीति के ऊँची रसुख रखने वाले ग्राम प्रधानों के पक्ष मे इस बात का मजदूरों से सपथ पत्र लेकर कि ग्राम प्रधान ने जो रकम मजदूरी की अपने खाते मे उतरी है उसमे से ग्राम प्रधान मजदूरों को नकद भुगतान किया है।

मजे की बात यह है कि यह सपथ पत्र जाँच अधिकारियो ग्राम प्रधानो और सपथ पत्र देने वाले जॉब कार्ड धारको की वह अपराधिक साजिस है जो घोटाले की शिकायत के बाद और जाँच के दौरान उजागर हो रही है।

सूत्रों की माने तो यह सब ग्राम प्रधानों के चहेते सत्तासीन नेताओं के दबाव मे जाँच अधिकारियो के द्वारा किये जा रहे है। इनके दम्भ मे ग्राम प्रधान शिकायतों तक को फड़वाने की कोशिश को धरातल पर उतरवाना चाह रहे है। विकास खंड रतनपुरा के एक ग्राम पंचायत की जाँच मे जाँच अधिकारी, ग्राम प्रधान और गाव के जॉब कार्ड धारको के एक नये “नेक्शस” का खरी दुनिया जल्द ही भांडाफोड़ करने की योजना पर काम कर रहा है।

घोटाले के “नेक्सस” मे शामिल हो रहे जाँच अधिकारी और जॉब कार्ड धारक

ग्राम् प्रधानों और सचिवों की मिलीभगत से शासनादेश के विपरीत सरकारी खाते से सीधे अपने ब्यक्तिगत खाते मे मजदूरी के नाम पर धन हड़पने वाले ग्राम प्रधानों के कृत्यो की जाँच के लिए नामित जाँच अधिकारियो और जॉब कार्ड धारको को जांच अधिकारी द्वारा लिफाफे लेकर बचाव के दिये जा रहे टिप्स मे नये साक्ष्य गढ़े जा रहे है।

जांच अधिकारी द्वारा शासनादेश का पालन नही कराने और उसके विपरीत ग्राम प्रधान के पक्ष मे घोटाले मे जॉब कार्ड धारक को घसीट कर खुद को “नेक्शस” मे शामिल किया जा रहा है।

मजदूरी की रकम को शासनादेश के बिपरीत ग्राम प्रधानों द्वारा अपने ब्यक्तिगत खाते मे हड़पने को जाँच अधिकारी मलाई समझने लगे है ।

जांच अधिकारियो के द्वारा लिफाफे के बल पर ग्राम प्रधानों के बचाव मे जिस तरीके से जॉब कार्ड धारको से सपथ पत्र के माध्यम से घोटाले के नए साक्ष्य गढ़े जा रहे है, से अभी शायद जिलाधिकारी भिज्ञ नही है।

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