Breaking News

रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस का असमंजस विपक्ष को दे रहा मौका

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में रायबरेली और अमेठी कभी कांग्रेस परिवार का गढ़ माना जाता था। आज कांग्रेस की स्थिति यह है कि इन दोनों लोकसभा सीटों पर उसे योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस को समझौता के तहत उप्र में समाजवादी पार्टी ने सिर्फ 17 सीटें दी। उसमें भी कांग्रेस अभी चार सीटों मथुरा, प्रयागराज, अमेठी और रायबरेली पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कर पायी। ऐसी सीटों पर उम्मीदवारों का संशय कांग्रेस नेताओं के लिए ही दुविधा पैदा कर दिया है।

उधर, भाजपा नेता पूछ रहे हैं कि कांग्रेस के युवराज की घोषणा दक्षिण से तो पहले ही हो गयी, जिसको वे अपना घर कहते हैं, वहीं से पलायन कर रहे हैं। इसका कारण है कि कांग्रेस भी जानती है कि इस बार उप्र में सभी अस्सी सीटों पर भाजपा की जीत सुनिश्चित है। 12 उम्मीदवारों को दो हजार से अधिक मत मिले थे। स्मृति और राहुल गांधी के बाद सबसे ज्यादा मत पाने वाले तीसरे स्थान पर रहने वाले ध्रुव लाल को 7,816 मत मिले थे। इससे पहले यह सीट संजय गांधी और उनके बाद राजीव गांधी के पास रहा करती थी। राहुल गांधी 2004, 2009, 2014 में सासंद थे। उनसे पहले एक बार 1999 में सोनिया गांधी इस सीट से चुनाव जीत चुकी हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी से कांग्रेस नेता राहुल गांधी भाजपा की स्मृति ईरानी से 55,120 वोटों से हार गये थे। यह तब स्थिति थी, जब सपा और बसपा ने रायबरेली और अमेठी को कांग्रेस के समर्थन में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। उस चुनाव में भाजपा की स्मृति को 4,68,514 मत मिले थे, वहीं राहुल गांधी को 4,13,394 मत मिले थे। अमेठी में कुल 27 उम्मीदवार खड़े थे। इसमें नोटा को लेकर 19 उम्मीदवारों को एक हजार से ज्यादा मत मिले थे।

रायबरेली लोकसभा सीट से 2004 से अब तक सोनिया गांधी सांसद रही हैं। इस बार राज्यसभा सांसद बनने के बाद उन्होंने रायबरेली की जनता के नाम भावुक पत्र भी भेजे थे। पिछली बार उन्होंने कांग्रेस से ही निकले भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह को 1,67,178 वोटों से पराजित किया था।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अब तक इस घोषणा के न होने से जहां विपक्ष को बोलने का मौका मिल गया है, वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं में मायूसी है। एक कांग्रेस नेता का कहना है कि जब रायबरेली और अमेठी जैसे सेफ सीटों पर उम्मीदवार घोषित करने में इतना हिचक रहे हैं तो आगे उप्र की रणनीति कैसे बनाएंगे। कांग्रेसी नेता का कहना है कि हम यहां पर सिर्फ सपा के भरोसे रह गये हैं। इससे कार्यकर्ताओं में निराशा है, हालांकि चुनाव आते-आते कार्यकर्ताओं में कुछ उत्साह आ जाने की उम्मीद है।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री संजय राय का कहना है कि कांग्रेस पहले से जान रही है कि यूपी में उसे एक सीट भी नहीं मिलनी है। ऐसे में वह उप्र में सक्रियता बढ़ाकर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहती। वैसे भी पूरे देश से कांग्रेस का सफाया होने जा रहा है।

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशु अवस्थी का कहना है कि जल्द ही शेष चार सीटों भी उम्मीदवारों की घोषणा हो जाएगी। इस बार हम उप्र की सभी सीटों पर सपा के साथ मिलकर भाजपा को हराने का काम करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी पहले ही डर पैदा हो गया है। इसी कारण वे पीछे और ईडी तथा सीबीआई आगे चल रही है।

Share and Enjoy !

Shares

Trending News

Copyright © 2024 खरी दुनिया | All Right Reserved.