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रासुका में समीक्षा के आधार पर हिरासत अवधि नहीं बढ़ाई जा सकती : हाईकोर्ट

-कहा, ऐसा कोई प्रावधान नहीं, याची को रिहा करने का दिया निर्देश

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 की धारा 12(1) के तहत राज्य सरकार हिरासत की अवधि को समीक्षा के आधार पर आगे नहीं बढ़ा सकती है। किसी भी आरोपी की हिरासत की अवधि को बढ़ाने के लिए नए आदेश पारित करना आवश्यक है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कानपुर के याची मोहम्मद असीम उर्फ पप्पू स्मार्ट व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा याची की हिरासत की अवधि तीन महीने के लिए थी। इस अवधि के बाद हिरासत अवधि को समीक्षा के आधार पर बढ़ाई गई। नया आदेश पारित नहीं किया गया। लिहाजा, याची किसी अन्य मामले में हिरासत में न हो तो उसे तुरंत रिहा किया जाए।

मामले में जिला मजिस्ट्रेट कानपुर ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम की धारा 3(2) के तहत आदेश पारित कर याची को तीन महीने में हिरासत में ले लिया था। तीन महीने की अवधि में हिरासत में रखने के लिए मामले को सलाहकार बोर्ड के पास भेजा गया था। राज्य सरकार की ओर से इसकी पुष्टि हो गई। याची को पहले तीन महीने के बाद छह महीने, फिर नौ महीने और फिर 12 महीने की अवधि के लिए हिरासत बढ़ा दी गई।

याची अधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार के पास हिरासत की अवधि को बढ़ाने का अधिकार नहीं है। यह भी कहा कि तीन महीने की प्रारंभिक अवधि के बाद किसी भी संशोधन और हिरासत को रद्द किया जा सकता है। सरकारी अधिवक्ता ने चेरूकुरी मणि बनाम आंध्र प्रदेश राज्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया। कहा कि प्रत्येक तीन महीने की अवधि के अंत में हिरासत अवधि को बढ़ाया गया था।

कोर्ट ने कहा कि हिरासत आदेश की समीक्षा का कोई प्रावधान नहीं है और उस समीक्षा के अधार पर हिरासत की अवधि को बढ़ाया नहीं जा सकता है। इस आधार पर कोर्ट ने याची को रिहा करने का निर्देश दिया।

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