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लाल सेना के घर में वॉलीबॉल टूर्नामेंट, हेवरा की टीम विजयी

– स्वतंत्रता सेनानी कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया का गांव है लोहिया

औरैया। स्वाधीनता संग्राम के दौरान लाल सेना का प्रमुख छापामार केंद्र रहे लोहिया गांव में चंबल संग्रहालय परिवार ने वॉलीबॉल टूर्नामेंट का आयोजन कराया। टूर्नामेंट में कुल आठ टीमों ने हिस्सा लिया। टूर्नामेंट का रोमांचक फाइनल मुकाबला हेवरा और कुसेली टीमों के बीच हुआ, जिसमें हेवरा की टीम विजेता बनी। कड़ी टक्कर देने वाली कुसेली की टीम उपविजेता रही।

कार्यक्रम में अतिथि विकास भदौरिया, अशोक यादव और चंद्रवीर चौहान ने विजेता रही हेवरा टीम के कप्तान विकास और उपविजेता कुसेली टीम के कप्तान आलोक कुमार को शील्ड व प्रतीक चिह्न प्रदान किए। आयोजन समिति की तरफ सभी खिलाड़ियों को स्मृति चिह्न ट्राफी दी गई। इस अवसर पर वॉलीबॉल टूर्नामेंट आयोजन समिति से जुड़े धर्मेन्द्र सिकरवार, राधाकृष्ण शंखवार, अटल बिहारी, अमर सिंह तोमर, सूरज सिंह शाक्य, सुदीप बाथम, अनिकेत, जयेन्द्र चौहान आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। चंबल परिवार के संयोजक चन्द्रोदय सिंह चौहान ने कहा कि चंबल परिवार चंबल अंचल के तीनों प्रदेशों में निरंतर सामाजिक-सांस्कृतिक, शैक्षणिक और खेल गतिविधियां आयोजित करता रहता है।

लोहिया गांव का भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में ख़ास स्थान है। यह आज़ाद हिंद फ़ौज की तर्ज़ पर बनी लाल सेना के कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया का गांव है और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान यह लाल सेना का छापामार केंद्र रहा था। लोहिया गांव से कई क्रांतिकारी लाल सेना में शामिल हुए थे जैसे ज़हीरुद्दीन, अंगद सिंह आदि।

कार्यक्रम के आयोजक चंबल संग्रहालय की स्थापना महान क्रांतिकारी पत्रकार पं.सुंदरलाल के जन्मदिवस पर 26 सितंबर 2018 को हुई थी। इसका मकसद स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों और चंबल की गौरवशाली लोक संस्कृति, परंपरा, विरासत और धरोहरों के संरक्षण और नई पीढ़ी के चेतना निर्माण के लिए शोध, अनुसंधान और प्रकाशन करना है। चंबल संग्रहालय के लिए शोध सामग्री की तलाश और और उसका अध्ययन निरंतर चल रहा है। बदलते समाज के साथ पुरानी वस्तुओं और धरोहर की चीजों के नष्ट होने का खतरा बढ़ गया है। संग्रहालय वे स्थान होते हैं जहाँ आप अपने पुरखों की चीजों को एकत्रित करके रख सकते हैं और उन्हें समय और मौसम के असर से नष्ट होने व खोने से बचाया जा सकता है। चंबल संग्रहालय समाज में बिखरे ज्ञान के इस अमूल्य स्रोत को सहेजने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने के मिशन में जुटा हुआ है। संग्रहालय चंबल अंचल के तमाम गाँवों और वहाँ के निवासियों, किसानों, छात्रों, बुद्धिजीवियों व अन्य सभी सुधी जनों से लगातार संपर्क कर रहा है।

चंबल संग्रहालय में चंबल अंचल और क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े दुर्लभ दस्तावेज, पत्र, गजेटियर, हाथ से लिखा कोई पुर्जा, डाक टिकट, सिक्के, स्मृति चिह्न, समाचार पत्र-पत्रिकाएँ, पुस्तकें, तस्वीरें, वीडियो, पुरस्कार, सामग्री-निशानी, अभिनंदन ग्रंथ, पांडुलिपियां आदि ऐतिहासिक महत्व की सामग्री संरक्षित की गई हैं। समाज की ओर से भी चंबल संग्रहालय को काफ़ी सहयोग मिल रहा है. इस निरंतर बढ़ते ज्ञानकोश के कारण चंबल संग्रहालय देश-विदेश के शोधार्थियों के बीच एक सेतु का निर्माण करने का प्रयास कर रहा है।

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