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हाईकोर्ट ने पीठासीन अधिकारी पर आरोप लगाने वाले वादी पर लगाया 20 हजार रुपये का हर्जाना

प्रयागराज)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक प्रणाली के खिलाफ गैर-जिम्मेदाराना आरोपों के प्रचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए वादी पर 20 हजार रुपये का हर्जाना लगाया। उसने पीठासीन न्यायाधीश के खिलाफ पक्षपात का आरोप लगाते हुए अपने मामले को स्थानांतरित करने की मांग की थी।

कोर्ट ने कहा कि अदालतों पर ऐसे आरोप लगाने की इस तरह की प्रवृति न्याय प्रशासन के व्यापक हित में नहीं है। लिहाजा, इसे सख्ती से खत्म किया जाना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की पीठ ने चंदौली की याची अलियारी बनाम रंजना व पांच अन्य की ओर से दाखिल दीवानी पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

मामले में याची ने जिला न्यायाधीश द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती दी गई थी। जिला न्यायाधीश ने उसकी ओर से दाखिल एक चुनावी अर्जी को स्थानांतरित करने की मांग को खारिज कर दिया था। अर्जी में कहा गया था कि प्रतिवादी निर्वाचित प्रधान के पति जिला न्यायालय चंदौली में वकालत करते हैं। सुनवाई दौरान प्रधानपति को पीठासीन अधिकारी के कक्ष में जाते हुए देखा था। कक्ष से निकलने के बाद उसने कथित तौर पर अपने सहयोगियों के सामने विजयी होकर दावा किया कि उन्होंने पीठासीन अधिकारी से बात की है और अब चुनाव याचिका का फैसला निश्चित रूप से उनकी पत्नी के पक्ष में होगा।

हालांकि, प्रतिवादी ने उक्त आरोपों से इंकार किया। जिला न्यायाधीश चंदौली ने इस आधार पर दाखिल स्थानांतरित अर्जी को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि जिन आरोपों पर स्थानांतरण की मांग की गई है, वे नागरिकों के बीच न्यायालयों के अधिकार और नैतिक ईमानदारी को खराब दृष्टि से देखने की प्रवृत्ति को प्रतिबिंबित करते हैं, जिससे न्याय व्यवस्था को नुकसान पहुंचता है। कोर्ट ने याची पर 20 हजार रुपये का हर्जाना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी।

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