Monday, June 5, 2023

10 साल के ‎निम्न स्तर पर रह सकती है सरकार की गेहूं खरीद !

  • पिछले सप्ताह गेहूं की खरीद लगभग 1.3 करोड़ टन थी, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि से 34 फीसदी कम है
    नई दिल्ली। निर्यात के लिए निजी कंपनियों द्वारा आक्रामक खरीद और घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट आने के अनुमान के बीच मौजूदा रबी वर्ष 2022-23 में सरकार की ओर से कुल गेहूं खरीद पिछले 10 सालों में सबसे कम रह सकती है। पिछले सप्ताह तक भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा गेहूं की खरीद लगभग 1.3 करोड़ टन थी। जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान खरीदी गई मात्रा से लगभग 34 फीसदी कम है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि मंडियों में गर्मियों की फसल की दैनिक आवक में भारी गिरावट आई है, जो यह दर्शाता है कि खरीद की गति धीमी होने वाली है।
  • हालांकि सरकारी एजेंसियों को अभी भी इस सीजन के दौरान गेहूं खरीद के मामले में 4.4 करोड़ टन के लक्ष्य के मुकाबले लगभग 2.5 करोड़ टन को छूने की उम्मीद है, लेकिन उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 2.2 करोड़ टन के लक्ष्य को पार करना मुश्किल होगा। पंजाब की मंडियों में दैनिक आवक रविवार को घटकर 2.46 लाख टन रह गई, जो पिछले साल इसी दिन 5.2 लाख टन थी। मंडियां लगभग खाली हैं और चीजों में सुधार की संभावना कम है। यही ‎‎‎स्थि‎ति हरियाणा में भी है।

  • जानकारों का कहना है ‎कि सरप्लस बफर स्टॉक की वजह से घरेलू उत्पादन में अपेक्षित गिरावट और सरकार की गेहूं खरीद में कमी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), अन्य कल्याण योजनाओं (ओडब्ल्यूएस) और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत अनाज की आवश्यकता को प्रभावित नहीं करेगी। यह भी कहा जा रहा है कि इससे गेहूं की घरेलू खुदरा कीमतों भी प्रभावित नहीं होंगी, जो मौजूदा रूस-यूक्रेन संकट के कारण वैश्विक मुद्रास्फीति के बावजूद काफी हद तक स्थिर बनी हुई है। मप्र में निजी कंपनियों द्वारा दी जाने वाली कीमतें 2,015 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी की तुलना में लगभग 2,740 रुपये प्रति क्विंटल हैं। इसी तरह राजस्थान में किसानों को उनके गेहूं के लिए 2,680 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिल रहा है और गुजरात में भी कीमत 2,700 रुपये प्रति क्विंटल के करीब है।

  • सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि शनिवार तक मध्य प्रदेश में एफसीआई और राज्य एजेंसियों द्वारा 25.8 लाख टन की गेहूं खरीद का अनुमान लगाया गया था, जो पिछले साल की इसी अवधि के दौरान खरीदे गए 48.6 लाख टन से लगभग 47 फीसदी कम है। इसी तरह, गुजरात में पिछले साल के 45,289 टन की तुलना में अब तक केवल छह टन गेहूं की खरीद हुई है, जबकि राजस्थान में खरीद घटकर 737 टन रह गई है, जबकि पिछले साल यह खरीद 4.86 लाख टन थी। उत्तर प्रदेश में सरकारी एजेंसियों द्वारा बमुश्किल 77,707 टन गेहूं खरीदा गया है, जबकि पिछले साल यह 6.16 लाख टन था। पंजाब में भी निजी कंपनियों ने लगभग 4.6 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जो दर्शाता है कि निजी व्यापारियों द्वारा भारी खरीद की जा रही है।

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"डंके की चोट " पर मै खरी दुनिया हू मै खरी दुनिया हू.... मै भ्रष्टाचारियों के बीच अकेला, लेकिन खरी दुनिया हू, मै हर हाल मे उन खबरो को, लोगो तक पहुचाने की कोशिश करता हू, जो अधिकांश बिकाऊ और बिकी मीडिया से, अपने "आका" के इशारे पर छुपा दी जाती हैं। मै इस लिए खरी दुनिया हू, क्योकि हमारी सरकार यानि "भारतीय जनता पार्टी " भ्रष्टाचार और अपराध को लेकर "जीरो टालरेंस " क़ी हिमायती हैं। मै भाजपा की इस नीति का पालन करने और कराने के लिए "डंके की चोट" पर कफ़न "सर" पर लिए खुद को नियमबद्ध रखते हुए हाजिर हू....मै खरी दुनिया हू.... भ्रष्टाचारीयो मे अफसर हो, या गाव का प्रधान, मै पदीय अधिकारों क़ी आड़ मे क़ी गई उनकी अनियमित्ता के साक्ष्य को खोजने का काम करता हू , .....क्योकि मै खरी दुनिया हू।
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