नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने भ्रूण में एक निश्चित जन्मजात विसंगति का पता चलने पर 22 सप्ताह की एक गर्भवती एक महिला को चिकित्सकीय ढंग से गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है। दरअसल, भ्रूण में जन्मजात विसंगति का पता चलने पर बताया गया था कि बच्चे के जन्म पर महिला को मनोवैज्ञानिक रूप से कष्ट हो सकता है।
जस्टिस रेखा पल्ली ने इसका संज्ञान लिया कि 31 वर्षीय याचिकाकर्ता की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में पता चला कि बच्चे के जन्म के बाद उसमें कई प्रकार की शारीरिक अपंगता हो सकती है और इन्हें लेकर कई तरह की सर्जरी की जरूरत होगी, जिससे उसका जीवन गंभीर रूप से प्रभावित होगा। महिला ने न्यायाधीश को बताया कि 2019 में उसे जुड़वां बच्चे होने वाले थे, लेकिन कुछ जटिलताओं के कारण बच्चों का जन्म समय से पहले हो गया और शारीरिक विकृति के चलते एक बच्चे की मौत हो गई।
महिला के अनुसार, दूसरे बच्चे का इलाज चल रहा है और इसलिए वह फिर से मानसिक और भावनात्मक परेशानी की स्थिति में नहीं पड़ना चाहती। अदालत ने कहा कि इसकी पूरी संभावना है कि अगर याचिकाकर्ता को गर्भपात की मंजूरी नहीं दी गई तो उसे गंभीर रूप से मनोवैज्ञानिक कष्ट झेलना पड़ सकता है, इसलिए मैं याचिकाकर्ता के वकील से सहमत हूं कि इस मामले में याचिकाकर्ता को गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए।