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84 सिख दंगा मामला: सज्जन कुमार के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई टली

नई दिल्ली,। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान सरस्वती विहार के एक मामले में आरोपित और पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई टल गई है। स्पेशल जज एमके नागपाल ने मामले की अगली सुनवाई 04 मार्च को करने का आदेश दिया।

आज अभियोजन पक्ष की ओर से पेश वकील मनीष रावत ने आंशिक दलीलें रखी। आज एसआईटी की ओर से पेश वकील गौरव सिंह ने कहा कि इस मामले में आरोपित सज्जन कुमार को मिली जमानत के खिलाफ एसआईटी की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जमानत के आदेश पर रोक लगा दिया है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट एसआईटी की याचिका पर 19 फरवरी को सुनवाई करेगा।

बता दें कि कोर्ट ने 30 नवंबर 2023 को बचाव पक्ष की ओर से साक्ष्य बंद कर दिया था। 01 नवंबर 2023 को सज्जन कुमार ने अपना बयान कराया था। कोर्ट ने 27 अप्रैल 2022 को सज्जन कुमार को जमानत दी थी। 19 अप्रैल 2022 को इस मामले में अभियोजन पक्ष के दो गवाहों सरबजीत सिंह बेदी और दिलीप कुमार ओहरी ने अपने बयान दर्ज कराए थे। कोर्ट में 93 वर्षीय गवाह डीके अग्रवाल के बयान की सील बंद प्रति कोर्ट में पेश की गई थी। अग्रवाल का बयान कड़कड़डूमा कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किया गया था। 29 मार्च 2022 को कोर्ट ने डीके अग्रवाल की बीमारी और उनकी ज्यादा उम्र को देखते हुए उनके बयान उनके घर पर ही दर्ज कराने का आदेश दिया था।

29 मार्च 2022 कोर्ट में दो गवाहों डॉ पुनीत जैन और मनोज सिंह नेगी के बयान दर्ज किए गए। 23 दिसंबर 2021 को कोर्ट में दस्तावेजों का परीक्षण किया गया था। 16 दिसंबर 2021 को सज्जन कुमार ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही थी। पिछले 04 दिसंबर को कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।

मामला 01 नवंबर 1984 की है जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। शाम को करीब चार-साढ़े चार बजे दंगाइयों की भीड़ ने पीड़ितों के राज नगर इलाके स्थित घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला कर दिया। शिकायतकर्ताओं के मुताबिक इस भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद थे।

शिकायत के मुताबिक सज्जन कुमार ने भीड़ को हमला करने के लिए उकसाया जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया। भीड़ ने पीड़ितों के घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी को अंजाम दिया। शिकायतकर्ता की ओर से तत्कालीन रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाली जांच आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर उत्तरी जिले के सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 147,148,149,395,397,302,307, 436 और 440 की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए।

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