सौदे की घोषणा जून, 2023 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजकीय यात्रा के दौरान की गई थी
– समुद्री मार्गों और चीन सीमा पर भविष्य के खतरों से निपटने के लिए भारत की क्षमता बढ़ेगी
नई दिल्ली। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद अमेरिका ने 3.99 बिलियन अमेरिकी डॉलर (32 हजार करोड़) की अनुमानित लागत पर भारत को 31 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दे दी है। इस मेगा ड्रोन सौदे की घोषणा जून, 2023 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजकीय यात्रा के दौरान की गई थी। भारत को यह ड्रोन मिलने के बाद समुद्री मार्गों में मानव रहित निगरानी और टोही गश्ती को सक्षम करके वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए भारत की क्षमता बढ़ेगी। खास तौर पर चीन सीमा पर भारत की निगरानी आसान होगी।
हालांकि, भारत सरकार की ओर से इस सौदे को मंजूरी मिलने के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है, लेकिन अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) ने एक बयान में इस सौदे की पुष्टि की है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि भारत सरकार को 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर एमक्यू-9बी रिमोटली पायलटेड विमान और संबंधित उपकरणों की विदेशी सैन्य बिक्री को मंजूरी देने का निर्णय लिया गया है। एजेंसी ने अमेरिकी कांग्रेस को इस संभावित बिक्री के बारे में सूचित करते हुए आवश्यक प्रमाणीकरण भी प्रदान किया है।
बयान में कहा गया है कि यह प्रस्तावित बिक्री प्रमुख रक्षा भागीदार की सुरक्षा में सुधार करके अमेरिकी-भारतीय रणनीतिक संबंधों को मजबूत करेगी। इसके साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों का समर्थन करेगी, जो हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशिया क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक के लिए एक महत्वपूर्ण ताकत बनी हुई है। प्रस्तावित बिक्री से परिचालन के समुद्री मार्गों में मानव रहित निगरानी और टोही गश्त को सक्षम करके वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने की भारत की क्षमता में सुधार होगा। भारत ने अपनी सेना के आधुनिकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है और इन वस्तुओं और सेवाओं को अपने सशस्त्र बलों में समाहित करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
डीएससीए ने कहा है कि एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की प्रस्तावित बिक्री से क्षेत्र में बुनियादी सैन्य संतुलन में कोई बदलाव नहीं आएगा। इस सौदे में मुख्य ठेकेदार जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स कंपनी होगी। यह एक सैन्य ठेकेदार और जनरल एटॉमिक्स की सहायक कंपनी है, जो दुनिया भर में अमेरिकी सेना और वाणिज्यिक अनुप्रयोगों के लिए मानव रहित हवाई वाहनों और रडार सिस्टम को डिजाइन और निर्माण करती है। इस प्रस्तावित बिक्री के कार्यान्वयन के लिए भारत में किसी भी अतिरिक्त अमेरिकी सरकार या ठेकेदार प्रतिनिधियों की नियुक्ति की आवश्यकता नहीं होगी।
डीएससीए ने कहा कि दक्षिण एशियाई देश को इन वस्तुओं और सेवाओं को अपने सशस्त्र बलों में शामिल करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। इसमें कहा गया है कि इस उपकरण और समर्थन की प्रस्तावित बिक्री से क्षेत्र में बुनियादी सैन्य संतुलन में कोई बदलाव नहीं आएगा और इस प्रस्तावित बिक्री के परिणामस्वरूप अमेरिकी रक्षा तैयारी पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। किसी भी सौदे में क्रेता आम तौर पर ऑफसेट का अनुरोध करता है, इसलिए इस ऑफसेट समझौते को क्रेता और ठेकेदार के बीच बातचीत में परिभाषित किया जाएगा। अमेरिकी प्रक्रिया के अनुसार अब अमेरिकी कांग्रेस अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन को बिक्री की सिफारिश की जाएगी।
डीएससीए ने कहा कि भारत ने 31 एमक्यू-9बी स्काई गार्जियन विमान खरीदने का अनुरोध किया था। लंबी दूरी का यूएवी किसी भी खतरे पर नज़र रखते हुए 36 घंटे तक हवा में रह सकता है। दी गई मंजूरी में 170 एजीएम-114 आर हेलफायर मिसाइलें, 16 एम36ई9 हेलफायर कैप्टिव वायु प्रशिक्षण मिसाइलें, 310 लेजर छोटे व्यास वाले बम और लाइव फ्यूज के साथ आठ लेजर निर्देशित परीक्षण वाहन भी शामिल हैं। भारत को 31 हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस यूएवी मिलेंगे, जिनमें से नौसेना को 15 सी गार्जियन ड्रोन मिलेंगे, जबकि सेना और भारतीय वायु सेना को आठ-आठ लैंड वर्जन स्काई गार्डियन मिलेंगे।