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हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ तरुण तेजपाल की याचिका पर पूर्व सैन्य अधिकारी को नोटिस

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन ने तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल की 2001 में सेना के एक पूर्व अधिकारी को बदनाम करने के मामले में सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सेना के पूर्व अधिकारी मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया को नोटिस जारी किया है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया।

सुनवाई के दौरान आज तेजपाल और बहल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि कोर्ट के पहले के आदेश के मुताबिक दोनों ने एक अंग्रेजी अखबार में बिना शर्त माफी मांगी थी। इसके अलावा दोनों ने दस-दस लाख रुपये जमा भी कर दिए हैं। सुनवाई के दौरान जनरल एमएस अहलूवालिया की ओर से कोई मौजूद नहीं था। तब कोर्ट ने कहा कि वो याचिकाकर्ताओं की याचिका मंजूर कर सकता है, अगर दूसरा पक्ष भी मौजूद हो। तब लूथरा ने कहा कि वो कोशिश करेंगे कि दूसरा पक्ष उपस्थित हो जाए लेकिन जनरल अहलूवालिया की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। उसके बाद कोर्ट ने अहलूवालिया को नोटिस जारी कर पेश होने का निर्देश दिया।

12 जनवरी को तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा था कि इस मामले में एक राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक में बिना शर्त माफी मांगेंगे। दरअसल, हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 21 जुलाई 2023 को सेना के पूर्व अधिकारी मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल को आदेश दिया था कि वो मेजर जनरल अहलूवालिया को बदनाम करने की एवज में दो करोड़ रुपये का मुआवजा दें।

सुनवाई के दौरान तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल ने हाई कोर्ट से कहा था कि वे दस-दस लाख रुपये हाई कोर्ट में जमा कराने को तैयार हैं। हाई कोर्ट ने कहा था कि दस-दस लाख रुपये की रकम दो हफ्ते में जमा कराएं। मार्च 2001 में तहलका में एक खबर चलाई थी कि अहलूवालिया ने नए रक्षा उपकरणों को आयात किए जाने वाली डील में एक भ्रष्ट बिचौलिये की भूमिका निभाई। सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि अहलूवालिया की छवि न केवल आम लोगों की नजर में खराब हुई बल्कि उन आरोपों से वे उबर नहीं पाए। सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ तेजपाल और बहल ने पुनर्विचार याचिका के रूप में चुनौती दी। सिंगल बेंच ने दोनों की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।

उल्लेखनीय है कि मेजर जनरल अहलूवालिया ने मानहानि याचिका में जी टेलीफिल्म लिमिटेड, इसके चेयरमैन सुभाष चंद्रा और पूर्व सीईओ संदीप गोयल को भी आरोपित बनाया था लेकिन कोर्ट ने उन्हें बरी करने का आदेश दिया।

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