मऊ। दीवानी न्यायालय परिसर में विधायक लिखे चार पहिया वाहन से घुसे तीन अबैध असलहेधारियो को पुलिस के कब्जे से छुड़ाने के मामले में दर्ज डेढ़ से दो सौ अधिवक्ताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे में दाखिल जनहित याचिका की उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने सोमवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। बीते २८ फरवरी को शहर कोतवाली पुलिस ने मामले में 3 नामजद साहित डेढ़ से दो सौ अज्ञात अधिवक्ताओं के खिलाफ मुकदमे कायम किये है। अधिवक्ता ब्रह्मा नन्द पाण्डेय ने मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की है।
दीवानी न्यायालय मऊ परिसर पर दिनाँक 28/ 2/2024 को विधायक लिखी गाड़ी में सवार ,हथियार बन्द लोगो ने परिसर का मुख्य गेट बल पूर्वक खोलकर अंदर प्रवेश कर परिसर के अंदर हथियार लहराने लगे ,परिसर की सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों ने तीन अज्ञात हमलावरों को पकड़ लिया ,जिनको सैकड़ो अधिवक्ताओं की भीड़ ने छुड़ा लिया ।
इस घटना की प्रथम सूचना परिसर की सुरक्षा में तैनात उपनिरीक्षक ने दिनाँक 28 /2/2024 को थाना कोतवाली जनपद मऊ में पंजीकृत कराया।
घटना के पांच महीने बाद ,पुलिस ने विवेचना करके टी पी सिंह के विरुद्ध भा द स की धारा 188 और 353 के अंतर्गत दिनाँक 20/7/2024 को आरोप पत्र प्रेषित किया ।
पुलिस की इस कार्यवाही के विरुद्ध किसी स्वतंत्र एवं निष्पक्ष एजेंसी से पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिये उच्च न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता ब्रह्मा नन्द पाण्डेय ने अपराधिक जनहित याचिका सँख्या 5 /2024 योजित किया ।
मामले की सुनवाई दिनाँक 12/8/2024 को हुई
ब्रह्मा नन्द पाण्डेय की ओर से उनका पक्ष सुधीर कुमार सिंह एडवोकेट ने रखा ,जबकि राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने पक्ष रखा ।
जनपद मऊ पुलिस की लीला पोती वाली कार्यवाही से मुख्य न्यायाधीश अप्रसन्न हुए ,इसपर अपर महाधिवक्ता ने कहा कि उ प्र के दीवानी न्यायालयो की सुरक्षा के लिये एक सुओ मोटो जनहित याचिका पहले से ही माननीय न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है।
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा ,” हमारा ध्यान दीवानी न्यायालय मऊ पर हुई अपराधिक हमले पर केंद्रित है ,हमें इसका जवाब चाहिये ,इतने अधिक हमलावरों में से केवल एक कि पहचान वाली पुलिसिया कार्यवाही सन्देह उत्पन्न करती है ।