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झारखंड हाई कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी मामले में 28 को फिर होगी सुनवाई

रांची। झारखंड हाई कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली क्रिमिनल रिट याचिका की सुनवाई मंगलवार को झारखंड हुई। हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सुनवाई जारी रही। मामले में अगली सुनवाई बुधवार को सुबह 10:30 बजे होगी।

मामले में हेमंत सोरेन की ओर से दाखिल रिट पिटीशन एवं संशोधन पिटीशन पर ईडी की ओर से जवाब दाखिल किया गया। हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वर्चुअली मोड में पक्ष रखा। इस दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन एवं अधिवक्ता पियूष चित्रेश ने उन्हें सहयोग किया।

कपिल सिब्बल ने हेमंत सोरेन की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि यह मामला शेड्यूल ऑफेंस का नहीं है, उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता है। बड़गाईं अंचल की जिस विवादित 8.5 एकड़ जमीन की बात कही जा रही है, उसके मूल दस्तावेज में हेमंत सोरेन के नाम का कोई जिक्र नहीं है। वहां कुछ लोगों ने कह दिया कि यह जमीन हेमंत सोरेन की दखल वाली है, इस पर विश्वास करते हुए ईडी अनुसंधान में आगे बढ़ रही है। इस केस में कोई भी साक्ष्य नहीं है और न हीं ईडी अभी तक कोई साक्ष्य जुटा पाई है।

ईडी विनोद सिंह के साथ उनके जिस व्हाट्सएप चैट का जिक्र कर रही है, वह वर्ष 2020 का है। आर्किटेक्ट विनोद सिंह के साथ हेमंत सोरेन के व्हाट्सएप चैट में बड़गाईं अंचल की उस विवादित 8.5 एकड़ जमीन पर बैंक्विट हॉल बनाने की नक्शा तैयार किए जाने की गलत बात कही जा रही है, इस व्हाट्सएप चैट में सरकार के बड़े अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग में पैसे के खेल के भी बेबुनियाद आरोप लगे हैं, जिसका इस मामले से कोई संबंध नहीं है।

16 अगस्त, 2023 को अंचलाधिकारी बड़गाईं को राज कुमार पाहन ने एक आवेदन दिया था कि जमीन उनके कब्जे में है, कुछ लोगों ने अवैध तरीके से उक्त जमीन की जमाबंदी करा ली है। इसके बाद 29 जनवरी को एसएआर कोर्ट ने अंतिम रूप से राजकुमार पाहन को उक्त जमीन का मालिकाना हक दे दिया है। यह मामला राजकुमार पाहन एवं एक अन्य व्यक्ति के बीच के विवाद का है। इस विवाद में हेमंत सोरेन कही नहीं है लेकिन ईडी ने इस मामले में हेमंत को गिरफ्तार कर लिया। ईडी उनके खिलाफ जबरदस्ती इस जमीन पर कब्जा किए जाने का सबूत तैयार की है।

ईडी की ओर से एएसजीआई एसवी राजू ने पक्ष रखा जबकि अधिवक्ता एके दास और सौरभ कुमार ने उनका सहयोग किया।

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