बांदा। लोकसभा चुनाव की दुंदुभी बज गई है। चुनाव की तारीखें घोषित होते ही सियासी गलियारों में सरगर्मी में बढ़ गई है। प्रशासन ने भी निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कमर कस ली है। वहीं राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशियों के जीत के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दी है। चित्रकूट मंडल में लोकसभा की दो सीटें हैं। चित्रकूट बांदा और हमीरपुर महोबा तिंदवारी लोकसभा सीटों पर पिछले 10 वर्षों से भाजपा काबिज है। इस बार पार्टी के सामने हैट्रिक बनाने की चुनौती होगी तो वही सपा कांग्रेस और बसपा को अपनी साख बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
जिले की बांदा लोकसभा के बारे में कहा जाता है कि यहां पर कभी किसी एक दल का लंबे समय तक दबदबा नहीं रहा है। 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को शानदार जीत मिली थी। 2019 के संसदीय चुनाव में बांदा लोकसभा सीट पर बीजेपी के आरके सिंह पटेल और समाजवादी पार्टी के श्यामा चरण गुप्ता के बीच मुकाबला रहा था। जिसमें बीजेपी के प्रत्याशी को जीत मिली।चुनाव में आरके सिंह पटेल ने 477,926 वोट हासिल किए तो श्यामा चरण गुप्ता को 418,988 वोट मिले। कांग्रेस के बालकुमार पटेल को तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 75,438 वोट मिले। इस तरह आरके सिंह पटेल ने 58,938 मतों के अंतर से यह चुनाव जीत लिया था। 2014 के आम चुनाव में भी बीजेपी को जीत मिली थी। बीजेपी की ओर से तब भैरों सिंह मिश्रा मैदान में थै।उन्होंने तब सपा प्रत्याशी रहे आरके सिंह पटेल को एक लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया था।
इस बार परिस्थितियों बदली है। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा का बसपा से गठबंधन था। जबकि इस बार कांग्रेस से गठबंधन है। पिछले बार भी चुनाव मैदान में दो कुर्मी प्रत्याशी थे। इस बार भी दो प्रत्याशी मैदान में है। बीजेपी ने अपने सांसद आरके पटेल और गठबंधन में शिव शंकर सिंह पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है। अभी तक बसपा ने अपने पत्ते नहीं खोले। तीसरे प्रत्याशी के रूप में बसपा से कोई ब्राह्मण चेहरा चुनाव मैदान में आ सकता है। ऐसी स्थिति में हिंदू मतों का विभाजन होगा और तब समाजवादी पार्टी कांग्रेस गठबंधन मजबूत स्थिति में होगा।
कमोवेश यही स्थिति हमीरपुर महोबा तिंदवारी लोकसभा सीट की है। यहां से लगातार दो बार बीजेपी के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल सांसद हैं। पार्टी ने उन्हें तीसरी बार मौका दिया है। 2019 के चुनाव में उन्होंने बसपा के प्रत्याशी दिलीप सिंह को करीब दो लाख मतों से हराया था। अब दिलीप सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया। ऐसी स्थिति में भाजपा पहले से ज्यादा मजबूत है। इस सीट पर भी सपा कांग्रेस प्रत्याशी को अपनी साख बचाने की लड़ाई लड़नी होगी।
इन दोनों लोकसभा सीटों के लिए पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होगा। पिछले बार भी पांचवें चरण पर मतदान हुआ था। लेकिन हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र का मतदान चौथे चरण में हुआ था। राजनीति विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार सुधीर निगम का मानना है कि मई के महीने में मतदान होने पर चुनाव प्रचार और मतदान पर खासा असर पड़ेगा। क्योंकि बुंदेलखंड में मई और जून के महीने में भीषण गर्मी पड़ती है।