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माहे रमजान का दिखा चांद, मंगलवार को पहला रोजा, मस्जिदों में नमाज तरावीह

-चांद के दीदार के लिए बच्चे और महिलाएं भी घर के सदस्यों के साथ छत पर डटे रहे

वाराणसी। मुकद्दस महीना रमजान का चांद सोमवार शाम धर्म नगरी काशी में भी दिखा। चांद का दीदार होते ही मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में लोगों ने खुशी में आतिशबाजी कर एक दूसरे को बधाई दी। सोशल मीडिया पर भी बधाई का दौर चलता रहा। मस्जिदों और इबादतगाहों में विशेष नमाज तरावीह पढ़ने के लिए हुजूम उमड़ पड़ा। मुस्लिम बहुल इलाकों सरैया, नक्खीघाट, बजरडीहा, मदनपुरा, पीलीकोठी, नई सड़क, दालमंडी, लल्लापुरा, पठानीटोला, सराय हड़हा, रेवड़ी तालाब, खारीकुंआ में मुकद्दस महीना रमजान को लेकर लोगों में उल्लास दिखा। नई सड़क स्थित लगड़ा हाफिज मस्जिद में अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद ने भी रमजान के चांद का दीदार किया।

समाजसेवी शकील अहमद ने बताया कि रमजान के चांद का दीदार होते ही मस्जिदों में तरावीह शुरू हो गई है। शहर की अलग-अलग मस्जिदों में कहीं छह, ढाई तो कहीं दो पारा तरावीह पढ़ी जाएगी। माहे रमजान में पहला रोजा 12 मार्च मंगलवार से शुरू होगा। उन्होंने बताया कि घरों में महिलाएं इबादत के साथ ही सहरी और इफ्तार की व्यवस्था में जुट गई हैं।

पत्रकार जावेद बताते हैं कि रमजान का महीना बहुत ही रहमतों व बरकतों का महीना है। इस माह में एक नेकी के बदले 70 नेकियों के बराबर सबाब मिलता है। इस्लाम में रमजान का रोजा रखना हर मुसलमान पर फर्ज किया गया है। रमजान को तीन अशरों में बांटा गया है। पहला 10 दिन रहमत का, दूसरा दस दिन मगफिरत का और आखिरी 10 दिन जहन्नम से आजादी का है।

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