जम्मू,। निर्वाचन आयोग की ओर से 16 मार्च 2024 को लोकसभा चुनावों की घोषणा करने के साथ ही प्रदेश में राजनीति गर्मा गई है। तारीखों की घोषणा के बाद सभी राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं। दो मार्च को ही भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए जम्मू-कश्मीर के जम्मू संभाग की दो सीटों के लिए अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे। जम्मू संभाग की यह दोनों सीटें वर्ष 2014 से ही भाजपा के पास हैं और भाजपा ने अपने दोनों सांसदों को तीसरी बार इन सीटों पर उतारा है। जम्मू-रियासी संसदीय सीट से जुगल किशोर शर्मा और उधमपुर-डोडा-कठुआ लोकसभा सीट से डॉ जितेन्द्र सिंह को उतारा है। इस सीट पर 2014 व 2019 में नेशनल कांग्रेस (नेकां) ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। प्रदेश के अन्य तीन लोकसभा क्षेत्रों के लिए भाजपा अपने उम्मीदवारों की घोषणा आने वाले समय में करेगी है। वहीं प्रदेश के अन्य राजनीतिक दलों ने अभी तक अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है।
श्रीनगर-गांदरबल सीट के लिए भाजपा में द्रक्षा अंद्राबी, अल्ताफ ठाकुर, अशोक भट्ट और आरिफ रजा के नाम पर चर्चा चल रही है। जबकि बारामुला-कपवाड़ा सीट पर अनवर और फकीर मोहम्मद के नाम पर चर्चा चल रही है। अनंतनाग-राजौरी सीट पर भाजपा प्रदेश प्रधान रविन्द्र रैना व पूर्व सांसद चौधरी तालिब हुसैन के नाम पर विचार हो रही है।
डॉ जितेन्द्र सिंह:- जम्मू संभाग के जिला डोडा के रहने वाले डॉ जितेन्द्र सिंह ने अपने जीवन का पहला चुनाव 2014 में लड़ा था और विजयी हुए थे। उनका मुकाबला उस समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद से हुआ था। वर्ष 2019 में जितेन्द्र सिंह ने इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह को हराया था। विक्रमादित्य सिंह जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक स्व. महाराजा हरिसिंह के पौत्र हैं। डॉ जितेन्द सिंह पेशे से एक डाक्टर हैं और वर्ष 2008 में जम्मू-कश्मीर में हुए श्री अमरनाथ भूमि आंदोलन के दौरान सक्रिय हुए थे और भाजपा में प्रवक्ता के दौर पर शामिल हुए थे। डॉ जितेन्द्र सिंह ने लगातार उन्हें तीसरी बार इस लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाये जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का आभार जताते हुए जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के संकल्प को दोहराया है।
जुगल किशोर:- जम्मू के नगरोटा विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके व प्रदेश प्रधान की जिम्मेदारी निभा चुके भाजपा के वरिष्ठ नेता जुगल किशोर शर्मा को भाजपा ने वर्ष 2014 में जम्मू-पुंछ संसदीय सीट वर्तमान में जम्मू रियासी सीट पर अपना उम्मीदवार बनाया था। 2014 में उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मदन लाल शर्मा को इस सीट पर हराकर विजय हासिल की थी। इससे पहले मदन लाल शर्मा लगातार दो बार इस सीट पर वर्ष 2004 व 2009 में विजय रहे थे। जुगल किशोर शर्मा लगातार दो बार इस सीट से विजय हो चुके हैं और तीसरी बार फिर भाजपा ने उन्हें यह मौका दिया है।
किशोर का कहना है कि मैं समस्त भाजपा परिवार का आभारी हूं क्योंकि उन्होंने तीसरी बार मुझ पर विश्वास जताया है। मैं पूरी ईमानदारी के साथ कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व जनता की उम्मीदों पर खरा उतरूंगा और भाजपा इस बार 370 से ज्यादा व एनडीए 400 का आंकड़ा पार करेगी।
भाजपा के दोनों लोकसभा उम्मीदवारों ने अपने नामों की घोषणा के साथ ही प्रदेश में अपना प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है। प्रदेश भाजपा के प्रधान सहित विभिन्न वरिष्ठ नेता प्रदेश में प्रचार के लिए कूद चुके हैं और विभिन्न क्षेत्र में रैलियां कर भाजपा द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी दे रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में अंतिम बार विधानसभा चुनाव वर्ष 2014 में हुए थे।
जम्मू-कश्मीर में विभिन्न राजनीतिक दल वर्ष 2018 से ही विधानसभा चुनाव कराए जाने की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी बीते वर्ष केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का गठन करें।
भारतीय चुनाव आयोगः-
गत दिनों लोकसभा चुनाव के तहत जम्मू-कश्मीर के दौरे पर आये भारतीय चुनाव आयोग की टीम ने अपने तीन दिवसीय प्रवास के दौरान जम्मू-कश्मीर की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से मुलाकात कर उनका मत जाना। साथ ही नागरिक व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों से बैठकें कर लोकसभा चुनाव को निष्पक्ष व सुरक्षित करवाने के निर्देश दिए। चुनाव डयूटी में इस्तेमाल होने वाले सभी वाहनों पर जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जायेगा। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय टीम जम्मू-कश्मीर पहुंची थी। चुनाव में पैसे का इस्तेमाल, शराब, नकदी, नशीले पदार्थ के इस्तेमाल पर चुनाव आयोग ने सख्त कार्रवाई करने के संकेत दिए हैं और सभी एजेंसियों से तालमेल के साथ काम करने को कहा है। निगरानी के लिए जिला निर्वाचन अधिकारियों व मुख्य निर्वाचन कार्यालय में जीपीएस कंट्रोल रूम स्थापित किए जाएंगे। विभिन्न जिलों में लोकसभा चुनाव के पोलिंग स्टाफ, सेक्टर अधिकारियों के वाहनों पर भी जीपीएस ट्रेकिंग सिस्टम लगाये जायेंगे। उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड सहित सभी जानकारियां केवाईसी ऐप पर उपलब्ध रहेंगी। राजनीतिक पार्टियों को पूरी जानकारियां एक राष्ट्रीय व एक क्षेत्री समाचार पत्र में देनी होगी। इसमें अखबारों व टेलीविजन पर तीन बार विभिन्न अवसरों पर आपराधिक रिकॉर्ड की सूचना देना अनिवार्य होगा।
प्रदेश की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव आयोग के समक्ष बैठक के दौरान लोकसभा चुनावों के साथ ही विधानसभा चुनाव करवाने की मांग उठाई थी परन्तु मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि लोकसभा चुनावों के बाद ही प्रदेश में विधानसभा चुनाव करवाये जायेंगे। जम्मू-कश्मीर में पांच चरणों में लोकसभा चुनाव होंगे और उसके बाद श्रीअमरनाथ यात्रा शुरू हो जायेगी और अगस्त में यात्रा के सम्पन्न होने के बाद ही विधानसभा चुनाव करवाये जाने की संभावना है। कश्मीर में विभिन्न राजनीतिक दल 2018 से ही प्रदेश में विधानसभा चुनाव करवाये जाने की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोट ने भी केन्द्र सरकार को निर्देश दिया है कि 30 सितम्बर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का गठन किया जाये।
जम्मू-कश्मीर एक नजर में:-
जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की पांच सीटे हैं, जिनमें से कोई भी सीट आरक्षित नहीं है। 86.9 लाख वोटर हैं जिनमें से 44.34 लाख पुरुष, 42.55 लाख महिलायें, 158 मंगलामुखी, 67400 दिव्यांग, 77290 वरिष्ठ नागरिक, 2886 सौ साल की आयु पूरी कर चुके वोटर, 76800 सर्विस वोटर, 3.4 लाख 18 से 19 साल की आयु के वोटर शामिल हैं।
विधानसभा की 114 सीटे हैं, जिनमें से 24 पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर के लिए आरक्षित हैं। केवल 90 सीटों पर ही मतदान होना है, जिनमें से 74 सीटें सामान्य, 9 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित व 7 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और देश में एक राष्ट्र-एक चुनाव की अवधारणा को लेकर केंद्र सरकार द्वारा समिति गठित किए जाने के बाद सभी को उम्मीद थी कि जम्मू-कश्मीर में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं। भाजपा इस मुद्दे पर हालांकि चुप थी लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कान्फ्रेंस, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी जैसे विभिन्न राजनीतिक दल दोनों चुनाव एक.साथ कराए जाने पर जोर दे रहे थे।
बतादें कि जम्मू-कश्मीर में जून 2018 में तत्कालीन पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार गिरने के बाद वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 की समाप्ति, जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में विभाजित किया जाना, सुरक्षा कारणों, जम्मू-कश्मीर में परिसीमन व मतदाता सूचियों की समीक्षा प्रक्रिया संबंधी विभिन्न औपचारिकताओं को पूरा किए जाने के कारण विधानसभा चुनाव नहीं कराए जा सके हैं।